Friday 25 May 2018

दर्द (Pain)

दर्द या पीड़ा (About Pain in Hindi)
स्नायु तंत्र में वह सामान्य संवेदना (Sensation) है जिसकी शुरूआत आपको किसी भी संभावित चोट तथा अपनी देखभाल के प्रति सतर्क करने के लिये होती है।


दर्द के प्रकार (Types of Pain)
दर्द को कई तरीकों से वर्गीकृत किया जा सकता है, दर्द के कारणों के अनुसार या लक्षणों के अनुसार। दर्द (dard) का मौलिक वर्गीकरण दर्द की अवधि के अनुसार होता है। दर्द के कुछ अहम वर्ग निम्न हैं:

अल्पकालिक और भयंकर दर्द (Acute Pain)
आमतौर पर एक्यूट पेन (Acute Pain) अचानक बीमारी, जलने, या मांसपेशी के चोटिल होने से होता है। भयंकर दर्द के कारण का निदान एवं उपचार (Diagnosis and Treatment) प्राय: कर लिया जाता है और दर्द किसी समयावधि या भीषणता में सीमित (Limited) होता है। एक्यूट पेन सुरक्षात्मक होता है और रोग समाप्त होने के बाद इससे पूरी तरह मुक्ति मिल जाती है,

एक्यूट पेन की विशेषताएं (Facts of Acute Pain in Hindi)

* इसकी अवधि कम होती है।
* इसके रोग की पहचान एवं पूर्वानुमान लगाया जा सकता है।
* इसके उपचार (Treatment) के लिए प्रायः दर्द निवारक दवाओं (Painkillers) का उपयोग किया जाता है।
* सामान्यतः इलाज के बाद दर्द ठीक हो जाता है।

दीर्घकालिक दर्द (About Chronic Pain in Hindi)
दीर्घकालिक दर्द या क्रॉनिक पेन कभी समाप्त नहीं होता है- यह भयंकर दर्द की तुलना में लंबे समय तक रहता है और अधिकतर चिकित्सा उपचारों के प्रतिरोधी क्षमता (Resistant) वाला होता है। क्रॉनिक पेन के संकेत सप्ताहों, महीनों और वर्षों तक संकेत देते रहते हैं। क्रॉनिक पेन प्रायः रोग समाप्त होने के बाद भी नहीं जाता और इसके सामान्यतः कोई लाभ नहीं हैं। इसके अतिरिक्त क्रॉनिक पेन किसी व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता (Quality of life) को काफी हद तक प्रभावित करता है।

क्रॉनिक पेन  की विशेषताएं (Facts of Chronic Pain )
* दीर्घकालिक दर्द या क्रॉनिक पेन लगातार रह सकता है या बार-बार हो सकता है। (महीनों या सालों तक रह सकता है)।
* यह प्रायः किसी दीर्घकालिक बीमारी के कारण होता है और उस रोग के लक्षणों में एक हो सकता है।
* इसके पूर्वानुमान नहीं लगाए जा सकते और प्रायः रोग की पहचान सुनिश्चित नहीं होती।
* इलाज में सामान्यतः कई विधियां सम्मिलित रूप से प्रयोग में लाई जाती हैं।
* प्रायः रोग ठीक हो जाने या इलाज पूरा हो जाने के बाद दुबारा दर्द हो सकता है।

क्रॉनिक पेन के उदाहरण-
कमर के निचले हिस्से में दर्द
आर्थ्राइटिस (गठिया) का दर्द
फाइब्रोमायल्जिया
माइग्रेन

दर्द का कारण (Causes and Reason of Pain in Hindi)
दर्द के कई कारण होते हैं जैसे  चोट लगना, पूरानी बीमारी आदि। दर्द (dard) के कुछ विशेष कारण निम्न हैं:

कैंसर
कान में संक्रमण
अचानक बीमारी
मांसपेशी की चोट
जलना
पुराना दर्द पूर्व की किसी चोट या शारीरिक नुकसान में भी होता है

सामान्य उपचार
​दर्द होने पर सबसे आसान उपाय लोग दर्द निवारक लेना समझते हैं। कई बार दर्द निवारक भी पूर्ण रूप से दर्द खत्म नहीं कर पाता। दर्द की स्थिति में कुछ निम्न उपाय अपनाए जा सकते हैं।

दर्द के उपाय (Treatment and Remedies of Pain in Hindi)
दर्द के निदान एवं उपचार (Diagnosis and Treatment) का उद्देश्य रोगी की कार्यप्रणाली में सुधार करना है जिससे वे अपने दैनिक काम कर सकें।

चोट या जोड़ों के दर्द में राहत के लिए ठंडा या गर्म सेंक करना आसान उपाय माना जाता है।

ठंडा सेंक - बर्फ हमारे शरीर की रक्त वाहिकाओं को सिकोड़ देती है। जिससे हमें दर्द व जलन से हमें छुटकारा मिलने के साथ ही चोट ठीक हो जाती है।

ठंडा सेंक केवल ताजा चोट के समय ही करना चाहिए। यदि चोट लगे 6-7 घंटे हो चुके हैं तो ठंडे सेंक से बचना चाहिए। लील पड़ने से रोकने व जोड़ों में खून को इकट्ठा होने से रोकने के लिए ठंडा सेंक किया जाता है।

गर्म सेंक - गर्मी से नसों में रक्त प्रवाह तेज हो जाता है जिससे अकड़ी हुई मांसपेशियां ढीली होने लगती हैं और दर्द में आराम मिलता है।

गर्म पानी का सेंक बहुत अधिक सर्दी के मौसम में करना फायदेमंद होता है। गर्मी के मौसम में गर्म सेंक नहीं करना चाहिए। सर्दी के मौसम में जोड़ों पर स्थित नसें सिकुड़ने लगती हैं। ऐसे में गर्म पानी के सेंक से दर्द पैदा करने वाले ऊत्तक और नसें खुल जाती हैं।

गंभीर चोटों में गर्म सेंक न लें। यह चोट में हो रही जलन को और बढ़ा सकता है। ऐसे में उस चोट को ठीक होने में ज्यादा समय भी लग सकता है

दर्द से छुटकारा पाने के लिए घरेलू नुस्ख़े
दर्द से निजात पाने के लिए हमेशा पेन किलर दवा खाना ठीक नहीं हैं। पेन किलर दवाओं के स्ट्रिप पर भी लिखा होता है कि इसके ओवरडोज सेहत के लिए नुकसानदेह होते हैं। दर्द निवारक दवाओं के ओवरडोज से लीवर और किडनी पर बुरा असर पड़ता है और अधिक सेवन से लीवर और किडनी खराब हो सकती है।

दर्द में ज्यादातर प्रयास करना चाहिए कि हम कुदरती और घरेलू उपाय से ही इसे कम करें। दर्द से निजात के लिए कुदरत में ऐसी नायाब जड़ी-बूटी और औषधियां है जो दर्द को न सिर्फ कम करती है बल्कि जड़ से ही खत्म कर देती हैं।

दर्द के घरेलू इलाज (Home Remedies for Pain)
कमर दर्द (Pain in Waist)
रात में 60 ग्राम गेंहू के दाने पानी में भिगो दें। सुबह में भीगे हुए गेंहू के साथ 30 ग्राम खसखस तथा 30 ग्राम धनिया मिलाकर बारीक पीस लें। इस चटनी के दूध में पका ले और खीर बना लें। इस खीर को लगातार दो महीने तक खाने से कमर दर्द का नाश हो जाता है। केवल खसखस औऱ मिश्री को बराबर मात्रा में पीस कर चूर्ण बना लें और इसे रोज खाएं, कमर दर्द गायब हो जाएगी।

कमर दर्द में तारपीन के तेल की मालिश भी बहुत लाभदायक होती है।
कमर दर्द और गठिया में नित्य सुबह अखरोट की गिरियों को अच्छी तरह चबाकर खाने से भी काफी लाभ होता है।

घुटनों का दर्द (Knee Pain)
सुबह के समय मेथीदाना का बारीक चूर्ण एक या दो चम्मच पानी के साथ लें, घुटनों का दर्द खत्म हो जाएगा।

मछली के तेल (क़ॉड लीवर ऑयल) भी घुटनों के दर्द में काफी असरदार है।

सुबह भूखे पेट अखरोट की गिरियां खाएं। दर्द से निजात मिलेगा।
घुटनों का दर्द, जोड़ों का दर्द हड्डियों को घिसने के काण होती है। इसमें विजयसार की लकड़ी के विधिवत इस्तेमाल से काफी आराम मिलता है।

एक कच्चा लहसुन खाली पेट पानी के साथ खाएं, दर्द से निजात मिलेगा।

अश्वगंधा और सौंठ को कूटकर इसके चूर्ण को खाएं, काफी आराम मिलेगा।

गठिया (Arthritis Pain)
बथुआ साग के ताजा पत्तों का रस 15 ग्राम प्रतिदिन पीने से गठिया दूर होता है। इस रस में नमक-चीनी आदि कुछ न मिलाएं। सुबह खाली पेट लें और शाम में भी।

बथुआ का साग बना के भी खा सकते हैं और इसके पराठे भी बना कर खा सकते हैं।

नागौरी असगंध की जड और खांड दोनों लगभग बराबर मात्रा में लेकर कूट-पीसकर कपड़े से छान कर बारीक चूर्ण बना लें । इसे सुबह-शाम गर्म दूध के साथ खाएं। गठिये के दर्द से राहत मिलेगी।

कच्चे लहसुन का सेवन करें।

बारीक असगंधा का चूर्ण दो भाग, सौंठ का चूर्ण एक भाग और पिसी हुई मिश्री तीन भाग मिला कर रख लें। इसे दो चम्मच सुबह-शाम गर्म दूध या पानी के साथ खाएं, दर्द गायब हो जाएगा।

हर प्रकार के बदन का दर्द (All type of Pain)
लहसुन की चार कलियां छीलकर तीस ग्राम सरसों के तेल में डाल दें। उसमें थोड़ी अजवायन मिला कर धीमी आंच पर पकाएं। लहसुन और अजवायन काली पड़ने पर तेल उतार कर थोड़ा ठंढा कर छान लें। इस हल्के गर्म तेल की मालिश से हर प्रकार का बदन दर्द छू-मंतर हो जाता है।

लगभग 10 ग्राम कपूर और 200 ग्राम सरसों का तेल- दोनों को शीशी में मिला कर कार्क से बंद कर दें। शीशी को धूप में रख दें। जब दोनों मिलकर एकरस हो जाएं तब इस तेल की मालिश से वात विकार, नसों का दर्द, पीठ और कमर का दर्द, हिप-शूल, मांसपेशियों का दर्द समेत बदन के सभी तरह के दर्द से छुटकारा मिल जाता है।

पेट दर्द (Abdominal Pain)
अजवायन का चूर्ण छह भाग और काला नमक (पिसा हुआ) एक भाग लेकर मिला लें। इसमें से दो ग्राम गर्म पानी के साथ लें तो पेट दर्द में तुरंत आराम मिलेगा।
अमृतधारा की दो-तीन बूंदे बताशे या खांड के पानी में डालकर पीने से पेट दर्द खत्म होता है।
दो-तीन चम्मच ठंढे पानी में दो-तीन बूंद अमृतधारा सुबह-शाम भोजन के बाद लेने से दस्त, आंव, मरोड़ और पेचिश के दर्द में आराम मिलता है।

गले का दर्द (Pain in Throat)
फूली फिटकरी दो ग्राम (आधा चम्मच) 250 मिली पानी में डाल कर दिन में दो-तीन बार गरारा करें। इससे गले की सूजन औऱ दर्द दूर होती है। यह संभव नहीं है तो केवल नमक और एख ग्लास गर्म पानी में डाल कर गरारे करने से भी दर्द कम होती है।

दांत का दर्द (Pain in Teeth and Gum)
सरसों के तेल की कुछ बूंदों में एक चुटकी सैंधा नमक के साथ एक चुटकी पिसी हुई हल्दी मिला ली जाए और गाढ़ा लेप (पेस्ट) बनाकर दांतो व मसूड़ों की मालिश रोजाना सबुह-शाम की जाए तो दांतो के दर्द के साथ कई तकलीफें दूर हो जाएंगी।

भीतरी चोट या हड्डी टूटने पर दर्द (Internal Pain and Inflamation)
200 ग्राम उबलते हुए दूध में आधा चम्मच हल्दी मिला कर दो-तीन बार उबाल दें। इस हल्दी और दूध के गुनगुने मिश्रण को पीने से चोट का दर्द व सूजन कम होती है।
यदि किसी जगह चोट के कारण सूजन हो या दर्द हो तो वहां पिसा हुआ सेंधा नमक या साधारण नमक की पोटली को गर्म कर सेंकने से सूजन और दर्द कम होती है।
जहां चोट लगी है, मोच आई है या सूजन है वहां हल्दी का चूर्ण और चूना मिला कर लगा दिया जाए तो फौरन दर्द ठीक हो जाती है और सूजन भी कम हो जाती  है।

Monday 21 May 2018

कमर दर्द (Back Pain)

स्लिप डिस्क या कमर दर्द (Back Pain) कोई बीमारी नहीं है बल्कि यह एक तरह से शरीर की यांत्रिक असफलता (Mechanical Failure) है। कमर दर्द के सबसे महत्त्वपूर्ण कारण रीढ़ से या मेरुदंड (Spinal Cord) से जुड़े होते हैं। स्पाइनल कॉर्ड या रीढ़ की हड्डी स्पाइन वर्टिब्रा (Vertebrae) से मिलकर बनती है जिस पर शरीर का पूरा वजन टिका होता है। यह सिर के निचले हिस्से से शुरू होकर टेल बोन (Tail Bone) तक होती है। हमारी रीढ़ की हड्डी में हर दो वर्टिब्रा (Vertebrae) के बीच में एक डिस्क होती है जो झटका सहने का यानि शाक एब्जार्वर (Shock Absorber) का काम करती है। आगे-पीछे, दायें-बायें घूमने से डिस्क का फैलाव होता है। गलत तरीके से काम करने, पढ़ने, उठने-बैठने या झुकने से डिस्क पर लगातार जोर पड़ता है। इससे मेरुदंड की नसों (Nerves) पर दबाव आ जाता है जो कमर में लगातार होने वाले दर्द का कारण बनता है। इस डिस्क के घिस जाने से इसमें सूजन आ जाती है, और यह उभरकर बाहर निकल आती है। इसके बाद यह रीढ़ की हड्डी से पैरों तक जाने वाली नसों पर दबाव डालती है। नसें दबने के कारण यह दर्द पैरों तक भी जा सकता है। इसमें पैर सुन्न हो जाने का खतरा रहता है। दर्द इतना कष्टदायक होता है कि मरीज अपने दैनिक कार्य करने तक में असमर्थ हो जाता है। कमर दर्द ( Peeth Ka Dard) अब लोगों के लिए एक कष्टदायक समस्या बनी हुई है। आज हर उम्र के लोग इससे परेशान हैं और दुनिया भर में इसके सरल व सहज इलाज की खोज जारी है। दिनभर बैठे कर काम करने से यह समस्या और भी बढ़ जाती है। कमर दर्द अगर नीचे की तरफ बढ़ने लगे और तेज हो जाए, तो जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखाएं। कभी-कभी दर्द कुछ मिनट ही होता है और कभी-कभी यह घंटों तक रहता है। 30 से 50 वर्ष की आयुवर्ग के लोग इसकी चपेट में अधिक आते हैं। वे महिला और पुरुष इसके अधिक शिकार होते हैं, जिन्हें अपने काम की वजह से बार-बार उठना, बैठना, झुकना या सामान उतारना, रखना होता है।
कमर दर्द के लक्षण
चलने-फिरने, झुकने या सामान्य काम करने में भी दर्द का अनुभव होना, झुकने या खांसने पर शरीर में करंट सा अनुभव होना।
नसों पर दबाव के कारण कमर दर्द, पैरों में दर्द या पैरों, एडी या पैर की अंगुलियों का सुन्न होना,
पैर के अंगूठे या पंजे में कमजोरी,
रीढ के निचले हिस्से में असहनीय दर्द,
समस्या बढने पर पेशाब और मल त्यागने में परेशानी,
स्पाइनल कॉर्ड के बीच में दबाव पडने से कई बार हिप या थाईज के आसपास सुन्न महसूस करना
स्लिप डिस्क या कमर दर्द (Back Pain) होने के के कुछ प्रमुख कारण
गलत पोश्चर (Posture),
लेटकर या झुककर पढ़ना या काम करना,
कंप्यूटर के आगे बैठे रहना,
अचानक झुकना,
वजन उठाना,
झटका लगना,
गलत तरीके से उठना-बैठना,
अनियमित दिनचर्या,
सुस्त जीवनशैली,
शारीरिक गतिविधियां कम होना,
गिरना,
फिसलना,
दुर्घटना में चोट लगना,
देर तक ड्राइविंग करना,
उम्र बढने के साथ-साथ हड्डियां कमजोर होने लगती हैं और इससे डिस्क पर जोर पड़ने लगता है,
कमर की हड्डियों या रीढ़ की हड्डी में जन्मजात विकृति या संक्रमण,
पैरों में कोई जन्मजात खराबी या बाद में कोई विकार पैदा होना।
सामान्य उपचार
~कमर दर्द के ज्यादातर मरीजों को आराम करने और फिजियोथेरेपी से राहत मिल जाती है।
~स्लिप डिस्क या कमर दर्द की समस्या होने पर दो से तीन हफ्ते तक पूरा आराम करना चाहिए।
~दर्द कम करने के लिए डॉक्टर की सलाह पर दर्द-निवारक दवाएं, मांसपेशियों को आराम पहुंचाने वाली दवाएं लें।
जीवनशैली बदलें।
~वजन नियंत्रित रखें। वजन बढ़ने और खासतौर पर पेट के आसपास चर्बी बढ़ने से रीढ़ की हड्डी पर सीधा प्रभाव पड़ता है।
~नियमित रूप से पैदल चलें। यह सर्वोत्तम व्यायाम है।
~शारीरिक श्रम से जी न चुराएं। शारीरिक श्रम से मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं।
~अधिक समय तक स्टूल या कुर्सी पर झुककर न बैठें। कुर्सी पर बैठते समय पैर सीधे रखें न कि एक पर एक चढ़ाकर।
~अचानक झटके के साथ न उठें-बैठें। एक सी मुद्रा में न तो अधिक देर तक बैठे रहें और न ही खड़े रहें।
~किसी भी सामान को उठाने या रखने में जल्दबाजी न करें। भारी सामान को उठाकर रखने की बजाय धकेल कर रखना चाहिए जमीन से कोई सामान उठाना हो तो झुकें नहीं, बल्कि किसी छोटे स्टूल पर बैठें या घुटनों के बल नीचे बैठें और सामान उठाएं।
~कमर झुका कर काम न करें। अपनी पीठ को हमेशा सीधा रखें।
~ऊँची एड़ी के जूते-चप्पल के बजाय साधारण जूते-चप्पल पहनें।
~सीढ़ियाँ चढ़ते-उतरते समय सावधानी बरतें।
~यदि कहीं पर अधिक समय तक खड़ा रहना हो तो अपनी स्थिति को बदलते रहें।
~दायें-बायें या पीछे देखने के लिए गर्दन को ज्यादा घुमाने के बजाय शरीर को घुमाएं।
~देर तक ड्राइविंग करनी हो तो गर्दन और पीठ के लिए तकिया रखें। ड्राइविंग सीट को कुछ आगे की ओर रखें, ताकि पीठ सीधी रहे।
~अधिक ऊँचा या मोटा तकिया न लगाएँ। साधारण तकिए का इस्तेमाल बेहतर होता है।
~अत्यधिक मुलायम और सख्त गद्दे पर न सोएं। स्प्रिंगदार गद्दों या ढीले निवाड़ वाले पलंग पर सोने से भी बचें।
पेट के बल या उलटे होकर न सोएं।
~परंपरागत तरीकों से आराम न पहुंचे तो सर्जरी ही एकमात्र विकल्प है। लेकिन सर्जरी होगी या नहीं, यह निर्णय पूरी तरह विशेषज्ञ का होता है।
~कमर दर्द से राहत के घरेलू उपाय
~कमर की मांसपेशियों का असंतुलित होना ही कमर दर्द का कारण होता है। कमर दर्द सही तरह से न उठने-बैठने, सोने या कमर पर क्षमता से अधिक दबाव पड़ने से होता है। लगभग 80 % लोग कभी न कभी कमर दर्द से परेशान होते हैं। कमर दर्द नया भी हो सकता है और पुराना भी हो सकता है। सतही तौर पर देखने पर कमर में होने वाला दर्द भले ही एक सामान्य सी स्थिति लगती है, लेकिन इसे नज़रअंदाज करने से समस्या काफी बढ़ सकती है।
जानिए कमर दर्द दूर करने के घरेलू नुस्खे (Home Remedies for Back Pain):
1. घुटने मोड़ें (Band knee)- नीचे रखी कोई वस्तु उठाते वक्त पहले अपने घुटने मोड़ें फिर उस वस्तु को उठाएं। ऐसा करने से कमर पर अनावश्यक दबाव नहीं पड़ेगा और कम तकलीफ होगी।
2. लहसुन (Garlic)- भोजन में लहसुन का पर्याप्त उपयोग करें। लहसुन कमर दर्द का अच्छा उपचार माना गया है। लहसुन के प्रयोग से पुराने से पुराना कमर दर्द भी ठीक होने लगता है।
3. गूगुल (Benzoin)- गूगुल कमर दर्द में बेहद राहत देता है। कमर दर्द में उपचार के लिए गूगुल की आधा चम्मच गरम पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करें। ऐसा करने से कमर दर्द में आराम मिलता है।
4. मसाला चाय (Tea)- चाय बनाने में 5 कालीमिर्च के दाने, 5 लौंग पीसकर और थोड़़ा सा सूखे अदरक का पाउडर डालें। दिन मे दो बार इस तरह की मसाला चाय पीएं। मसाला चाय पीते रहने से कमर दर्द में लाभ होता है।
5. सख्त बिस्तर (Tough Bedding)- सख्त बिस्तर पर सोने से भी कमर दर्द में बेहद आराम मिलता है। ऐसा करने से कमर समतल रहती है और पूरी कमर पर समान दबाव पड़ता है। औंधे मुंह पेट के बल सोना भी हानिकारक है।
6. दालचीनी (Cinnamon)- 2 ग्राम दालचीनी का पाउडर एक चम्मच शहद में मिलाकर दिन में दो बार लेते रहने से कमरदर्द में राहत मिलती है।
7. शरीर को गर्म रखें (Warm Body)- कमर दर्द पुराना हो तो शरीर को गर्म रखें और गरम वस्तुएं खाएं। ऐसा करने से कमर दर्द में बेहद राहत मिलती है। सर्दियों में दर्द ज्यादा हो तो ध्यान रखें कि दर्द वाला हिस्सा हवा के संपर्क में न आए।
8. बर्फ की सिकाई (Ice Foment)- दर्द वाली जगह पर बर्फ का प्रयोग करना भी लाभकारी उपाय है। इससे भीतरी सूजन भी समाप्त होगी। कुछ रोज बर्फ़ का उपयोग करने के बाद गरम सिकाई प्रारंभ कर देने से अनुकूल परिणाम आते हैं।
9. पौष्टिक भोजन (Proper Nutrition)- भोजन मे टमाटर, गोभी, चुकंदर, खीरा, ककड़ी, पालक, गाजर, फ़लों का प्रचुर मात्रा में उपयोग करें।
10. भाप की सिकाई (Steam Foment)- नमक मिले गरम पानी में एक तौलिया डालकर निचोड़ लें। पेट के बल लेटकर दर्द के स्थान पर तौलिये द्वारा भाप लेने से कमर दर्द में राहत मिलती है।
11. मालिश (Massage)- रोज सुबह सरसों या नारियल के तेल में लहसुन की तीन-चार कलियाँ डालकर (जब तक लहसुन की कलियाँ काली न हो जायें) गर्म कर लें फिर ठंडा कर प्रभावित जगह पर मालिश करें।
12. नमक (Salt)- कढ़ाई में दो-तीन चम्मच नमक डालकर इसे अच्छे से सेक लें। थोड़े मोटे सूती कपड़े में यह गरम नमक डालकर पोटली बांध लें। कमर पर इसके द्वारा सेक करें।
अपना ध्यान रखें 

सीने में दर्द (Chest Pain)

सीने में दर्द ( Chest Pain) की बात आते ही हम दिल के दौरे (Heart Attack) की बात सोचने लगते हैं, मगर सीने में दर्द कई कारणों से हो सकता है। फेफड़े, मांसपेशियाँ, पसली, या नसों में भी कोई समस्या उत्पन्न होने पर सीने में दर्द होता है। किसी-किसी परिस्थिति में यह दर्द भयानक रूप धारण कर लेता है जो मृत्यु तक का कारण बन जाता है। लेकिन एक बात ध्यान में रखें कि खुद ही रोग की पहचान न करें और सीने में दर्द को नजरअंदाज न करें, तुरन्त चिकित्सक के पास जायें।
सीने में दर्द के लक्षण
सीने का दर्द स्वयं कई रोगों का लक्षण है।
कारण
एनजाइना (Angina) : हृदय (Heart) के कारण जब सीने में दर्द होता है तब चिकित्सा शास्त्र के अनुसार इसको एनजाइना कहते हैं। एनजाइना से ग्रस्त रोगी को सीने में दर्द कुछ ही देर तक होता है या परिस्थिति बिगड़ जाने पर दर्द की अवधि बढ़ जाती है। साधारणतः यह दर्द कंधे, बाँह, पीठ, पेट के ऊपरी भाग में होता है। एनजाइना में धमनियों के सिकुड़ जाने के कारण रक्त का हृदय में आवागमन बाधित हो जाता है। जब धमनियों में रक्त का थक्का जमने लगता है तब साँस लेने में मुश्किल होने लगती है और सीने में दर्द शुरू हो जाता है। अगर परिस्थिति को संभाला नहीं गया तो मृत्यु तक हो सकती है। एनजाइना का दर्द साधारणतः आनुवंशिकता के कारण, मधुमेह, हाई कोलेस्ट्रॉल, पहले से हृदय संबंधित रोग से ग्रस्त होने के कारण होता है।
उच्च रक्तचाप: जो धमनियाँ रक्त को फेफड़ों तक ले जाती है उसमें जब रक्त का चाप बढ़ जाता है तब सीने में दर्द होता है और इस अवस्था को उच्च रक्तचाप (Pulmonary Hypertension) कहते हैं।
एसिडिटी (Acidity): यह साधारणत गैस्ट्रो इसोफेगल रिफ्ल्क्स डिज़ीज़ (गर्ड) (भाटा रोग) के कारण होता है।
फेफड़ों में रोग (Lung Disease) : जब रक्त धमनियों में थक्का जमने लगता है तब फेफड़ों के टिशु या ऊतकों में रक्त का प्रवाह रुकने लगता है, ऐसा होने से बेचैनी होने लगती है और साँस लेने में मुश्किल होता है, जो बाद में दर्द का कारण बनता है।
डर के कारण (Fear Psycosis): कभी-कभी दिल में दर्द अत्यधिक डर, अचानक कोई सदमा, दिल की धड़कन के बढ़ने, अत्यधिक पसीना और साँस में तकलीफ के कारण भी होता है।
तनाव: तनाव के कारण दिल की धड़कन तेज हो जाती है, साँस लेने में तकलीफ होने लगती है और रक्त चाप बढ़ जाने के कारण भी हृदय में रक्त संचार की गति को नुकसान पहुँचता है, इन सब कारणों से भी सीने में दर्द होता है।
सामान्य उपचार
सीने में दर्द (Chest Pain) का सीधा संबंध हमारे अनियोजित और अस्वस्थ खान-पान से है।
खान पान में सुधार के साथ साथ हमें नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए।
जो व्यायाम शरीर के लिए उपयुक्त हो उस व्यायाम को जरूर करें, जैसे- तेज कदमों से चलना, सीढ़ियाँ चढ़ना, बैडमिंटन या टेनिस खेलना आदि।
आहार में फाइबर की मात्रा को बढ़ाएं और कैलोरी की मात्रा को कम करें।
खाने में नमक की मात्रा को कम करें और अगर हो सके तो बिलकुल छोड़ दें।
धूम्रपान हृदय संबंधी बीमारी को बढ़ाने में अहम् भूमिका निभाता है। अतः इसको छोड़ना फायदेमंद है।
सीने में दर्द के लिए घरेलू नुस्ख़े
सीने में दर्द (Chest Pain) हमेशा हार्ट अटैक का मामला नहीं होता। सीने या छाती में दर्द के और भी कई कारण हो सकते हैं। एसीडिटी, सर्दी, कफ, तनाव, गैस, बदहजमी और धूम्रपान से भी छाती में दर्द होती है। वैसे जब कभी भी छाती में दर्द हो तो तत्काल ड़ॉक्टर से संपर्क करना चाहिए ताकि हार्ट अटैक की शंका को दूर किया जा सके।
हार्ट अटैक में छाती की दर्द को एंजाइना कहते हैं जो कोरोनरी आर्टरी में रक्त के प्रवाह की प्रक्रिया बाधित होने या बलगम की वजह से उत्पन्न अवरोध के कारण होता है। बहरहाल छाती के दर्द को कभी भी नजरअंदाज नहीं करनी चाहिए भले ही वह गैस या एसिडिटी का दर्द ही क्यों न हो। अगर आप यह पता लगा लेते हैं कि दर्द हार्ट अटैक की नहीं बल्कि अन्य वजह से है तो इसके घरेलू इलाज आप कर सकते हैं।
छाती दर्द के घरेलू इलाज (Home Remedies for Chest Pain)
लहसुन (Garlic)
लहसुन को वंडर मेडिसीन कहा गया है जो हर तरह की बिमारियों में रामबाण का काम करता है। सेहत के लिए तो रामबाण है ही हार्ट के लिए तो सबसे ज्यादा लाभकारी है। लहसुन में कई तरह के विटामिन, मिनरल्स-कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, थियामिन, राइबोफ्लाविन, नियासिन और विटामिन सी का खजाना है। इसके अलावा इसमें सल्फर, आयोडीन और क्लोरीन की मात्रा भी पाई जाती है।
लहसुन के एक या दो कली अगर आप रोज सुबह खाली पेट खा रहे हैं तो यह न सिर्फ आपके कोलेस्ट्रोल को कम करेगा बल्कि हृदय की धमनी के दीवार पर फैट की परत को बनने से भी रोकेगा। नतीजा आपके हार्ट में ऑक्सीजन और रक्त का प्रवाह सुचारू रहेगा। अगर छाती में दर्द की शिकायत गैस से भी है तो यह काफी कारगर होती है। लहसून का सेवन कई तरीकों से किया जा सकता है। कच्चा लहसून खाना ज्यादा असरदार होता है।
अदरक (Ginger)
अदरक के कई औषधीय गुण हैं। अगर आपको गैस या एसीडिटी से हार्टबर्न हो रहा है, छाती में दर्द हो रहा हो तो अदऱक की चाय आजमा सकते हैं। यह छाती के दर्द के साथ , कफ, खांसी समेत कई बिमारियों के इलाज में काम आता है।
हल्दी (Turmeric)
हल्दी में दर्द निवारक गुण होते हैं। एंटी इंफ्लामेट्री दवा के रुप में इसे आयुर्वेद और चाइनीज मेडिसीन में भी इस्तेमाल किया जाता है। हल्दी में पाए जाने वाले खास कंपाउड Curcumin में दर्द को चूसने वाले गुण होते हैं। यह दिल की सेहत के लिए भी गुणकारी है। हल्दी को सबसे ज्यादा लोग गर्म दूध में डालकर पीते हैं। दर्द वाले स्थान पर हल्दी का लेप भी लगाया जाता है।
तुलसी (Holy Basil)
तुलसी में सिर्फ एंटी बैक्टीरियल गुण ही नहीं बल्कि एंटी इंफ्लामेट्री गुण भी होते हैं। इसके अलावा तुलसी में ऐसे कई कंपाउड पाए जाते हैं जो दिल के सेहत के लिए भी गुणकारी है। तुलसी में Eugenol पाया जाता है जो दिल के सेहत के लिए काफी फायदेमंद है। तुलसी के पत्ते लोग चबा कर खाते हैं और कई लोग चाय और काढ़ा बना कर पीते हैं। अगर छाती में दर्द है तो तुलसी-अदरक का काढ़ा बना कर उसमें शहद की बूंदे डाल कर पी लीजिए काफी फायदा करेगा।
और भी हैं कई घरेलू इलाज (Some more home remedies)
गैस से हुए छाती दर्द में अल्फा-अल्फा (Alfa-alfa Sprouts) का जूस काफी फायदेमंद है।
अरहूल के पत्ते का काढ़ा भी छाती के दर्द में काफी काम करता है।
अनार के जूस से भी छाती दर्द कम होता है।
ओमेगा 3 फैटी एसिड मछली के तेल और सरसों के तेल में पाया जाता है, इसके सेवन करने से हार्ट की बीमारी कम होती है।
अखरोट का सेवन करें।
मुलैठी के जड़ का सेवन करें छाती के दर्द में काफी काम करता है।
अपना ध्यान रखें

Friday 11 May 2018

मानसून में होने वाली इन 5 खतरनाक बीमारियों से ऐसे बचें

-डेंगू और मलेरिया जैसी खतरनाक बीमारियां तेजी से फैलती है।
-ऐसी बीमारियों के बारे में बताने जा रहे हैं
-जो बारिश के मौसम में फैलती है।
अगर देखा जाए तो सबसे ज्‍यादा संक्रामक बीमारियां मानसून यानी बरिश के मौसम में ही होती है। कभी बारिश में भीगने के कारण तो कभी संक्रमित खाना और पानी पीने से लोग जानलेवा बीमारी के शिकार हो जाते हैं। ऐसे मौसम में मच्‍छर का कहर भी कम नहीं होता है। ऐसे समय में डेंगू और मलेरिया जैसी खतरनाक बीमारियां तेजी से फैलती है। आज हम आपको कुछ ऐसी बीमारियों के बारे में बताने जा रहे हैं जो बारिश के मौसम में फैलती है। आइए जानते हैं इन बीमारियों से बचने के उपाए।
सर्दी-जुकाम, बुखार
बारिश में भीगने के कारण देर तक शरीर में नमी रहने से सर्दी-खांसी के बैक्टीरिया जन्म लेते हैं जिससे सर्दी-जुकाम, बुखार और खांसी जैसे रोगों की संभावना बढ़ जाती है। इससे बचाव के लिए बारिश में भीगने से बचना जरुरी है। अगर किसी वजह से भी जाते हैं तो तुरंत कपड़े बदलकर सूखे कपड़े पहन लेना चाहिए। गीलापन सुखाने के लिए पंखे आदि की बजाय हीटर या फिर आग प्रयोग में लाएं। सर्दी-जुकाम से संक्रमित व्यक्तियों से संपर्क के बाद हाथ ठीक से धोएं। अधिक परेशानी होने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
हैजा
दूषित जल और अस्वच्छता की बरसात के मौसम में कोई कमी नहीं होती और इनकी वजह से फैलने वाला रोग जिंदगी का सबसे बड़ा खतरा बन सकता है। आस-पास की गंदगी हैजा फैलने का सबसे बड़ा कारण है। इस रोग के होने पर दस्त और उल्टियां आती हैं, पेट में तेज दर्द होता है, बेचैनी और प्यास की अधिकता हो जाती है। इससे बचने के लिए आसपास की सफाई के अलावा पानी उबालकर पीना चाहिए। इस रोग से बचाव का सबसे अच्छा उपाय टीकाकरण है। यह सुलभ भी है और सबसे ज्यादा विश्वसनीय भी। समय रहते रोगी का उपचार जरुरी है क्योंकि हैजा जानलेवा भी हो सकती है।
मलेरिया
बारिश में जगह-जगह पानी इकट्ठा हो जाने से मलेरिया की संभावना काफी प्रबल रहती है। मादा एनिफिलीज मच्छर के काटने से होने वाला यह रोग एक संक्रामक रोग है और दुनिया के सबसे जानलेवा बीमारियों में से एक है। इसलिए इसे हल्के में लेना भारी पड़ सकता है। यदि बुखार और बदनदर्द के साथ आपको कंपकंपाहट हो रही है तो यह लक्षण मलेरिया के हैं। मच्छरों के काटने से खुद का बचाव करना इसके रोकथाम का पहला मंत्र है। इसके लिए रात को सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग, घर के आसपास पानी न इकट्ठा होने देना और नालियों में डीडीटी का छिड़काव जैसे तरीके अपनाए जा सकते हैं। मलेरिया के लक्षण दिखते ही तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने में ही समझदारी है।
टाइफाइड
मानसून के दिनों की सबसे खतरनाक बीमारियों में से एक है टाइफाइड। संक्रमित जल और भोजन से होने वाले इस रोग में तेज बुखार आता है जो कई दिनों तक बना रहता है। ठीक होने के बाद भी इस बीमारी से होने वाला संक्रमण रोगी के पित्ताशय में जारी रहता है जिससे जीवन का खतरा बना रहता है। संक्रामक रोग होने के कारण टाइफाइड के रोगी को लोगों से दूर रहना चाहिए। टीकाकरण इस बीमारी को रोकने के लिए बहुत जरुरी है। ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थों का सेवन इस रोग से बचाव के लिए फायदेमंद होता है।
चिकनगुनिया
मानसून में मच्छरजनित रोगों की भारी मतात्रा होती है। ऐसी ही एक और बीमारी है चिकनगुनिया जो एडीज ऐजिपटी मच्छर के काटने से होती है। इस खास तरह के मच्छर के काटने के 3 से 7 दिन के बाद चिकनगुनिया के लक्षण रोगी के शरीर में दिखाई देने लगते हैं। बुखार आना और जोड़ों में दर्द होना, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों में सूजन औऱ शरीर पर दाने आना इस रोग के लक्षण हैं। इस रोग से बचाव के लिए जरुरी है कि बाहर बिकने वाले खुले खाने से परहेज करें। साफ पानी पिएं, अधिकाधिक मात्रा में तरल पदार्थ लें ताकि शरीर में पानी की कमी न रहे। लक्षण का पता चलते ही डॉक्टर से संपर्क करें।

इलाइची बढ़ा सकती है सेक्स पावर

भारतीय मसाले में कीमती और मसालों की महारानी है इलाइची।

इलायची को वाजीकरण नुस्खे की तरह भी इस्तेमाल किया जाता है।

असमय स्खलन व नपुंसकता की समस्या को दूर करती है इलाइची।

इलाइची के नियमित सेवन से यौन क्षमता में इज़ाफा होता है।

यौन क्षमता का बेहतर होना दाम्पत्य जीवन का न सिर्फ पूर्ण करता है, बल्कि प्रेम की भावना को और भी मजबूत करता है। इसे बेहतर करने के लिये सही खानपान व नियमित व्यायाम बेहद जरूरी होता है। लेकिन इसके अलावा भी प्रकृति में भी ऐसी कई चीजें हैं जिनके सेवन ये यौन क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। कमाल की बात तो यह कि ये गुणकारी चीजें आराम से मिल सकती हैं और इनका प्रयोग भी आसान होता है। इसमें से एक चीज़ है, इलाइची! चलिये जानें इलाइची कैसे यौन क्षमता बढ़ाने में मददगार होती है।

कैसे करती है ये फायदा


भारतीय मसाले में कीमती और मसालों की महारानी कही जाने वली इलायची के इस्तेमाल से कामेच्छा को बढ़ाया जा सकता है। इलायची का सेवन आमतौर पर सांस और मुंह को साफ रखने के लिए अथवा मसाले के रूप में किया जाता है। यह दो प्रकार की होती है, हरी या छोटी इलायची व बड़ी इलायची।


इलायची को वाजीकरण नुस्खे के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है। इलायची एक ऐसे टॉनिक के रूप में भी काम करती है जिससे कामोत्तेजना में वृद्धी होती है। यह शरीर को ताकत प्रदान करने के साथ-साथ असमय स्खलन व नपुंसकता की समस्या से भी मुक्त कराने में सहायक होती है। इसका सेवन करने के लिये दूध में इलायची डालकर उबालें। ठीक से उबल जाने के बाद इसमे थोड़ा शहद मिलाएं और नियमित रूप से रात को सोते समय इसका सेवन करें। इसके नियमित सेवन से यौन क्षमता में इज़ाफा होता है और दामपत्य जीवन सुखमय बनता है।  


इसका अलावा मुंह में छाले की समस्या को दूर करने के लिये बड़ी इलायची को महीन पीसकर उसमें पिसी हुई मिश्री मिलाकर जीभ पर रखने से छाले दूर होते हैं। लेकिन रात के समय इलायची न खायें, इससे खट्टी उकारें आने की शिकायद हो सकती है। साथ ही महिलाओं को इसका अधिक सेवन नहीं करना चाहिये, क्योंकि इसके अधिक सेवन से महिलाओं में गर्भपात होने की भी संभावना होती है।



Thursday 10 May 2018

Mitroooooon

Mere pyaare mitron...
Is blog ko follow kare comments kare jisse mujhe pata chale ki kya progress hai blog ki... Jankari kaisi lagti hai aap sab logo ko....
Mere pyaare 125 crore deshwasiyo kya aap apne sewak ke blog se
fayeda ho ra k ni ho raha....
Ho ra k ni ho ra.... 😂😂😂
Agr ho ra to kya aapka ye farz ni banta k apne is sewak ka hausla badhaye 😎

To mitron achhe achhe comment karein
Sujhaw de aur apna Pyaar de....
Mitroooooo.... 😂😂😂
Jo log is blog pr aate hain aur apna keemti samay dete hain uske liye thanks...
Apna Pyaar banaye rakhe
Swasth rahe, mast rahe

🇮🇳Jai hind....

प्रेग्‍नेंसी के दौरान होने वाली ये समस्‍या महिलाओं की हड्डियां बनाती है कमजोर

-गर्भावस्था के साथ होने वाले ऑस्टियोपोरोसिस
-गर्भवती महिला को स्वास्थ्य के जोखिम बढ़ जाते है
-ऐसे में महिला के गिरने का डर भी रहता है
आमतौर पर गर्भवती महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या तीसरी तिमाही या फिर प्रसव के बाद होती है। कुछ महिलाओं की पहली गर्भावस्था में ही ये शिकायत होने लगती है लेकिन यह भी निश्चित नहीं होता कि यह समस्या गर्भावस्था के बाद भी रहेगी या नहीं। ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या गर्भवती महिला को गर्भावस्था के दौरान होने वाले पीठ दर्द, कम हाइट होने या किसी प्रकार के फ्रैक्चर से शुरू होती है। कई बार गर्भावस्था के दौरान ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या बढ़ने का एक कारण महिलाओं का जागरूक न होना भी है। कई बार ऑस्टियोपोरोसिस से होने वाला हड्डियों के दर्द को सामान्य दर्द समझ महिलाएं लापरवाही बरतने लगती है।
क्‍यों होती है ये बीमारी
गर्भावस्था के दौरान ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या कैल्शियम की कमी के कारण भी हो सकती है या फिर अधिक तनाव लेने से भी ये समस्या हो जाती है। कई बार यह समस्या आनुवांशिक होने के कारण भी हो सकती है।गर्भावस्था के दौरान अधिक वजन बढ़ने से भी ऑस्टियोपोरोसिस का जोखिम हो जाता है।
शिशु पर भी पड़ता है असर
गर्भावस्था के दौरान ऑस्टियोपोरोसिस होने पर महिला की हड्डियों पर बहुत प्रभाव पड़ता है और हड्डियां लंबे समय तक प्रभावित हो सकती है। इसका असर होने वाले बच्चे पर भी पड़ता है। बच्चे की हड्डिया बहुत कमजोर होती है और गिरते ही फ्रैक्चर इत्यादि होने की आशंका रहती है। इतना ही नहीं बच्चे और महिला के जोड़ों में भी दर्द की शिकायत लंबे समय तक रहती है।
बचाव के भी हैं उपाय
डॉक्टर्स की मानें तो प्रसव के बाद स्तनपान के दौरान कई बार ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या खुद-ब-खुद ठीक हो जाता है और गर्भावस्था के दौरान हुई हड्डियों ही हानि भी ठीक हो जाती है क्योंकि कई बार ऑस्टियोपोरोसिस कुछ समय के लिए ही होता है। गर्भावस्था के दौरान ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या के समाधान के लिए कैल्शियम और प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थ खाने चाहिए। इससे हड्डियों में हुई कमजोरी को दूर किया जा सकता है।
अपना ध्यान रखें ~

Wednesday 9 May 2018

घुटनों का दर्द

घुटना शरीर का सबसे बड़ा तथा जटिल जोड़ है। यह एक सायनोवियल जोड़ (Sinovial Joint) का उदाहरण हैं। इस जोड़ में मुख्यत चार हड्डियों, लगभग 15 मांसपेशियों के अलावा एक और महत्त्वपूर्ण चीज़ होती है जिसे कारटीलेज (Cartilage) कहते हैं।

दैनिक जीवन में चलने-फिरने, चढ़ाव चढ़ने, सैर करने, व्यायाम करने, व्यायाम करने से घुटनों के जोड़ों में स्थित कारटीलेज का क्षय होता है|
कारटीलेज में द्रव या कोलोजन, रक्त प्रवाह के अभाव में कठोर होने लगता है।

घुटनों का दर्द

यह रोग पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में ज्यादा पाया जाता है। इसका कारण है महिलाओं में माहवारी बन्द होने पश्चात् स्त्री हारमोन ‘इस्ट्रोजन’ का स्राव काफी कम हो जाता है, जिससे शरीर का वजन बढ़ने व आस्टियोपोरोसिस व कार्टिलेज क्षरण की प्रक्रिया तेज हो जाती है।

घुटने का दर्द अस्थिरज्जु (Ligament) के फटने से भी होता है। हमारी रोजमर्रा की गतिविधियां जैसे चलना, दौड़ना, उछलना या सीढ़ियां चढ़ने से घुटने (Ghutne ka Dard) पर बहुत ज्यादा दबाव पड़ता है। हर दिन के दबाव से घुटने की अस्थिरज्जु में टूट-फूट हो जाती है, जिससे भी जोड़ों का दर्द  होता है।
आमतौर पर देखा जाता है कि घुटने के हर दर्द को लोग आर्थराइटिस समझ लेते हैं, जबकि घुटनों में दर्द के कई कारण हो सकते हैं तथा उनका इलाज भी भिन्न-भिन्न है।

अर्थराइटिस एक ऐसी बीमारी है, जिसका शरीर के जोड़ों और मांसपेशियों पर असर पड़ता है। मरीज के पैरों और हड्डियों के जोड़ों में तेज दर्द होता है, जिससे चलने-फिरने में भी तकलीफ हो सकती है। कुछ खास तरह के अर्थराइटिस में शरीर के दूसरे अंग भी प्रभावित होते हैं। ऐसे में दर्द के साथ दूसरी समस्याएं भी हो सकती हैं।

घुटनों का दर्द के लक्षण
घुटने का दर्द बाएं, दाएं या दोनों घुटनों में हो सकता है।
घुटने में सूजन हो जाती है और चलते समय घुटने में दर्द होता है।
घुटने सख्त हो जाते हैं, उनमें चटखन होती है और कभी-कभी घुटनों में सूजन भी आ जाती है।
घुटनों में दर्द होना।
मांसपेशियों की कमजोरी तथा जकड़न से जोड़ एक तरफ को झुक जाता है, टांगे टेढ़ी होने लगती हैं व उनका एलाइनमेंट बिगड़ जाता है, जिससे जोड़ों के घिसने की प्रक्रिया काफी तेज हो जाती है तथा रोगी की चाल दर्दभरी तथा बेढंगी हो जाती है।
रोगी को बैठने के पश्चात् उठकर खड़े होने में काफी तकलीफ होती है।
समय गुजरने के साथ-साथ यह तीव्र तथा भयंकर दर्द का रूप ले लेता है।
हवा चलने, ठंड लगने, ठंडी चीजें खाने, जाड़ा, गरमी, बरसात आदि के मौसम में यह रोग बढ़ जाता है।

बढ़ती उम्र और मोटापे के कारण अकसर घुटनों के दर्द से दो-चार होना पड़ता है। घुटनों के दर्द के कुछ अन्य कारण (Causes of Knee Pain in Hindi) निम्न हैं:

अर्थराइटिस- रीयूमेटाइड, आस्टियोअर्थराइटिस और गाउट सहित अथवा संबंधित ऊतक विकार

बरसाइटिस- घुटने पर बार-बार दबाव से सूजन (जैसे लंबे समय के लिए घुटने के बल बैठना, घुटने का अधिक उपयोग करना अथवा घुटने में चोट)

टेन्टीनाइटिस- आपके घुटने में सामने की ओर दर्द जो सीढ़ियों अथवा चढ़ाव पर चढ़ते और उतरते समय बढ़ जाता है। यह धावकों, स्कॉयर और साइकिल चलाने वालों को होता है।

बेकर्स सिस्ट- घुटने के पीछे पानी से भरा सूजन जिसके साथ अर्थराइटिस जैसे अन्य कारणों से सूजन भी हो सकती है। यदि सिस्ट फट जाती है तो आपके घुटने के पीछे का दर्द नीचे आपकी पिंडली तक जा सकता है।
घिसा हुआ कारटिलेज घुटने के जोड़ के अंदर की ओर अथवा बाहर की ओर दर्द पैदा कर सकता है।

घिसा हुआ लिगामेंट (ए सी एल टियर)- घुटने में दर्द और अस्थायित्व उत्पन्न कर सकता है।

नीकैप (Knee Cap) का विस्थापन।

झटका लगना अथवा मोच- अचानक अथवा अप्राकृतिक ढंग से मुड़ जाने के कारण लिगामेंट में मामूली चोट।

जोड़ में संक्रमण (इंफेक्शन)।

घुटने की चोट- आपके घुटने में रक्त स्राव हो सकता है जिससे दर्द अधिक होता है |

श्रोणि विकार (Pelvic Disorder)- यह दर्द उत्पन्न कर सकता है जो घुटने में महसूस होता है। उदाहरण के लिए इलियोटिबियल बैंड सिंड्रोम एक ऐसी चोट है जो आपके श्रोणि से आपके घुटने के बाहर तक जाती है।

मोटापा, जिसके कारण घुटनों पर अधिक बोझ पड़ता है, जिससे घुटने का कार्टिलेज घिस जाता है। हड्डी के सिरों पर पड़ने वाला अधिक दबाव इस दर्द को और अधिक बढ़ा देता है।

सामान्य उपचार

​​घुटनों के दर्द से निजात पाने का सबसे बेहतर उपाय इससे बचना माना जाता है। डॉक्टरों के अनुसार स्वस्थ जीवनशैली और वजन को नियंत्रण में रखकर इस बीमारी से आसानी से बचा जा सकता है। घुटनों के दर्द से बचाव के कुछ अन्य उपाय निम्न हैं:

घुटनों के दर्द के उपाय (Treatment and Remedies of Knee Pain in Hindi)

अपना वजन नियंत्रित रखें।
स्विमिंग करना सबसे फायदेमंद है।
दौड़ने से ज्यादा चलना अच्छा रहता है।
जांघ की मांसपेशियों से संबंधित व्यायाम करें।
फल व सब्जियों का भरपूर सेवन करें। इनमें एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं।
घुटनों को मोड़कर नहीं बैठना चाहिए।  पेट को साफ रखें तथा कब्ज न होने दें।
घुटनों के नीचे अथवा बीच में एक तकिया रखकर सोएं।
दिन में कम से कम 2 बार बर्फ लगाएं।
डॉक्टर से समय-समय पर जांच कराते रहें।

घुटने के दर्द के लिए घरेलू उपचार

घुटनों के दर्द की सबसे बड़ी वजह है ओवरवेट होना। अगर आपके शरीर का वजन ज्यादा है तो जाहिर है आपका भार सहने में आपके घुटनों को तकलीफ होगी। इसके अलावा फिजिकल एक्टिविटी कम होने, कैल्शियम की कमी होने या अर्थराइटिस (arthritis) होने से भी घुटनों में दर्द रहता है। मांसपेशियों में तनाव रहने या किसी चोट की वजह से भी घुटनों का दर्द आपको परेशान कर सकता है।
आइए जानें कुछ घरेलू उपाय, जिन्हें अपनाकर आप घुटनों के दर्द से राहत पा सकते हैं।

1. ठंडा सेक (Cold fomentation)
घुटनों के दर्द से राहत के लिए ठंडा सेक दिया जा सकता है। यह सबसे आसान और प्रभावी तरीकों में से एक है। घुटनों को ठंडा सेक देने से यह रक्त वाहिकाओं को कसता है जिससे रक्त प्रवाह कम होता है और सूजन भी घटती है।
कैसे करें-
एक पतली तौलिया में बर्फ के टुकड़े लपेट लें। 10 से 20 मिनट के लिए दर्द प्रभावित घुटने के हिस्से को सेकें। आपका दर्द धीरे धीरे दूर हो जाएगा। इस उपाय को रोजाना दो या तीन बार कर सकते हैं।

2. सेब का सिरका (Apple cider vinegar)
सेब का सिरका भी घुटने के दर्द को कम करने में सहायक है। ये घुटने के जोड़ के भीतर खनिज इकठ्ठा करता है और हानिकारक विषाक्त पदार्थों को नष्ट करता है।

कैसे करें-
दो कप फ़िल्टर्ड पानी में दो चम्मच सेब का सिरका मिलाएं। दिनभर में यह घोल पीएं। पूरी तरह ठीक होने तक रोजाना इस टॉनिक का सेवन करें।

बाल्टी में गर्म पानी डालकर उसमें दो कप सेब का सिरका मिलाकर 30 मिनट के लिए पानी में प्रभावित घुटने भिगाकर बैठ जाएं। इससे घुटनों के दर्द में काफी राहत मिलेगी।

एक चम्मच सेब का सिरका और जैतून के तेल को बराबर भागों में मिलाकर घुटनों की मालिश करें, फायदा होगा।

3. लाल मिर्च (Red Chilli)
लाल मिर्च के इस्तेमाल से घुटनों के दर्द में भी राहत मिलती है, इसमें मौजूद केपसाइसिन दर्द निवारक की तरह काम करता है।

कैसे करें-
एक से डेढ़ कप तेल में दो बड़े चम्मच लाल मिर्च पाउडर डालकर एक पेस्ट तैयार करें। कम से कम एक सप्ताह तक हर दिन दो बार यह पेस्ट घुटनों पर लगाएं। घुटनों के दर्द से राहत मिलेगी।
एक कप सेब के सिरके में एक चौथाई या आधा चम्मच लाल मिर्च पाउडर डालकर मित्रण तैयार करें। इस मित्रण को घुटनों पर लगाने से दर्द और सूजन कम हो जाती है। जब तक घुटनों दर्द से राहत न हो तब तक हर दिन इस पेस्ट को 20 मिनट के लिए घुटनों पर लगा सकते हैं।

4. अदरक (Ginger)

घुटने का दर्द मांसपेशियों में तनाव की वजह से हो या गठिया के कारण, अदरक दोनों ही स्थिति में बेहद लाभप्रद है। इसमें एंटी़फ्लेमेबल गुण होते हैं जो घुटने की सूजन और दर्द को कम कर देते हैं।

कैसे करें-
एक कप पानी में थोड़ा सा अदरक का टुकड़ा लेकर 10 मिनट उबाल लें। इसके बाद इसको ठंडा करके इसमें थोड़ा सा नींबू का रस और शहद मिलाएं। इस घोल को रोज पीएं। आप चाहें तो अदरक के तेल से घुटनों की मालिश भी कर सकते हैं।

5. हल्दी (Haldi)
हल्दी घुटने के दर्द को दूर करने के लिए एक प्रभावी और प्राकृतिक उपचार है। हल्दी में मौजूद कुरक्यूमिन एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है और दर्द कम करने में मदद करता है।

कैसे करें-
एक कप पानी में अदरक और हल्दी को थोड़ा थोड़ा मिलाकर 10 मिनट के लिए इसे उबाल लें। इसके बाद इसको गुनगुना होने के बाद शहद मिलाएं। दिन में दो बार इसे पीएं।
एक गिलास दूध में हल्दी डालकर उबालें और उसमें शहद मिलाकर पीएं। इससे भी घुटनों का दर्द ठीक होता है।

नोट:
* हल्दी रक्त को पतला करती है, ऐसे में खून पतला (Blood Thinning) करने की दवा लेने वालों के लिए यह ठीक नहीं।
* शहद को बहुत गरम पानी या दूध में नहीं मिलाना चाहिए।

6. नींबू (Lemon)
नींबू भी गठिया की वजह से घुटने के दर्द के लिए एक घरेलू लाभकारी उपाय है। नींबू में पाया जाने वाला साइट्रिक एसिड (citric acid) गठिया में यूरिक एसिड क्रिस्टल को घुलाता है।

कैसे करें-
एक नींबू छोटे-छोटे टुकड़ों में काटें। इन टुकड़ों को सूती कपड़े में डालकर गर्म तिल के तेल में डुबाएं। इसके बाद पांच से 10 मिनट के लिए प्रभावित घुटने पर कपड़ा रखें। एक दिन में दो बार ऐसा करने से दर्द पूरी तरह चला जाता है।
एक गिलास पानी में नींबू निचाड़कर पीने से भी लाभ होता है।

Tuesday 8 May 2018

बदहज़मी (Gastric Problem)

बदहज़मी (Gastric Problem)

पाचनक्रिया के दौरान पेट में गैस का बनना एक सामान्य प्रक्रिया है। शरीर की अन्य प्रक्रियाओं की तरह पेट में गैस का बनना और बाहर निकल जाना भी एक सामान्य प्रक्रिया है।

कई बार पेट में गैस बनने की तीव्रता बढ़ जाती है और पेट के भीतर बनने वाली इस गैस के बाद पेट में तीव्र पीड़ा होने लगती है। अगर यह समस्या अकसर होने लगे तो यह गम्भीर बीमारी का रूप ले लेती है जिसे गैस्ट्रिक (Gastric Problem) के नाम से जाना जाता है।

बदहजमी या गैस्ट्रिक की समस्या (Gastric Problem)

मानव शरीर में गैस्ट्रिक म्यूकोसा (Gastric Mucosa) के द्वारा हाइड्रोक्लोरिक एसिड बनता है जो मानव शरीर पर प्रभाव डालता है और गैस की समस्या से निजात दिलाता है। अगर हाइड्रोक्लोरिक एसिड सही प्रकार से नहीं बनता है तो भोजन भी सही से नहीं पच पाता है।

आधुनिक जीवन शैली ने इस समस्या को बढ़ावा दिया है। गैस्ट्रिक बीमारी का सीधा संबंध खानपान से है। जो लोग भोजन में चटपटा, तला, मिर्च मसालेदार, खट्टा, नींबू, संतरा आदि का सेवन अधिक करते हैं उन लोगों को यह समस्या जल्दी होती है।

इनके अलावा जो लोग चाय, काफी, चालकेट, शराब का अधिक सेवन करते हैं, वे भी इस रोग से ग्रसित हो जाते हैं। तनावग्रस्त रहने वाले लोगों को भी गैस की समस्या (Gastric Problem) अधिक होती है।

बदहज़मी के लक्षण
खट्टी डकारें आना,
खाना या खट्टा पानी (एसिड) मुंह में आ जाना,
गले से खरखराहट महसूस होना और सांस फूलने की भी शिकायत होना,
छाती के निचले भाग में दर्द का महसूस होना और उलटी करने का मन करना,
स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ जाना

गैस्ट्रिक प्रॉब्लम के कुछ प्रमुख कारण (Main Causes of Gastric Problem):

अनियमित जीवनशैली
ज्यादा तनाव
ज्यादा तला- भुना भोजन
स्मोकिंग, ड्रिंकिंग
राजमा, काले चने, सफेद चने, लोबिया, सूखे हरे मटर, पॉपकॉर्न, सूखी मक्कई जैसे अनाज पेट में गैस पैदा कर सकते हैं।

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बदहज़मी का उपचार (Gastric Problem Treatment)
विवरण
लक्षण
कारण
उपचार
बदहज़मी का उपचार (Gastric Problem Treatment)
सामान्य उपचार

बदहजमी या गैस्ट्रिक की समस्या से निजात पाने का सबसे अच्छा तरीका है खानपान का ध्यान रखना। डॉक्टरों के अनुसार गैस्ट्रिक से निजात पाने के आसान उपाय निम्न हैं:

बदहजमी के उपाय (Treatment of Gastric Problem)

गैस की बीमारी में उपचार के साथ अपनी जीवनशैली में बदलाव लाकर इससे छुटकारा पाया जा सकता है।
गैस्ट्रिक रोगियों को बचाव के लिये कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए ताकि रोग ज्यादा न बढ़ पाये।
दिन भर में मुख्य आहार 2 बार के स्थान पर 3-4 बार थोड़ी मात्रा में करें।
तनाव न लें और जल्दबाजी से बचें, गुस्से पर काबू रखें।
व्यायाम और गरम पानी पीने से भी गैस्ट्रिक के रोगियों को आराम मिलता है।

बदहजमी के लिए घरेलू उपाय

गैस को चिकित्सीय भाषा में अपच के रूप में जाना जाता है। गैस के लक्षण सूजन, डकार, जलन और मतली हो सकते है। गैस और अपच हमारे पेट में पाचक रस के स्राव से होने वाली समस्याएं हैं। पेट में मौजूद एसिड पेट के अंदर जलन पैदा करना शुरू कर देता है। इसमें व्यक्ति को बेचैनी, सीने और पेट में जलन महसूस होती है।

गैस की समस्या ज्यादा तैलीय या मसालेदार खाना खाने से होती है, साथ ही यदि पेट खाली है तब भी गैस की समस्या हो सकती है। बहुत ज्यादा चाय या कॉफ़ी पीने वालों को भी गैस की समस्या हो सकती है। गैस की समस्या यदि बढ़ जाए तो समस्या गंभीर हो सकती है इसलिए समय रहते इस पर काबू करना आवश्यक होता है। आइए आपको बताते हैं कुछ घरेलू उपाय जिन्हें अपनाकर आप गैस की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।

1. धनिया (Dhaniya)
धनिया के इस्तेमाल से पेट में गैस के कारण होने वाली जलन में राहत महसूस कर सकते हैं। एक गिलास छाछ में भुना हुआ धनिया मिलाकर पीने से गैस से राहत मिलती है।

2. सौंफ के बीज (Saunf seeds)
मसालेदार या वसायुक्त भोजन करने के कारण गैस और अपच जैसी समस्याएं होती हैं, इसके लिए सौंफ के बीच से इसका इलाज संभव है। सौंफ के बीज में मौजूद तेल, मतली और पेट फूलना जैसी समस्याओं से राहत देता है। सौंफ को सुखाकर, भूनकर उसका पाउडर बना लें। दिन में दो बार इस पाउडर के इस्तेमाल से गैस से काफी हद तक राहत मिल जाती है।

3. काली मिर्च (Black Peeper)
हमारे पेट में हाइड्रोक्लोरिक एसिड की कमी को पूरा करने के लिए काली मिर्च का उपयोग बहुत कारगर हो सकता है। काली मिर्च से आमाशय रस का प्रवाह बढ़ता है, जिससे यह पाचन में मदद करती है। गुड़ में काली मिर्च का पाउडर मिलाकर अपच के दौरान छाछ के साथ लिया जा सकता है। इसके अलावा काली मिर्च, सूखे पुदीना के पत्ते, सौंठ पाउडर और धनिया बीज बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से भी अपच में फायदा होता है।

4. लौंग (Laung or Clove)
लौंग आंत गतिशीलता और जठरांत्र स्राव को बढ़ाती है जिससे गैस और अपच की समस्या खत्म हो जाती है। इसके लिए लौंग को चबाएं। पेट में जलन से छुटकारा पाने के लिए लौंग का तेल इस्तेमाल किया जा सकता है।

5. सेब का सिरका (Apple cider vinegar)
सेब का सिरका गैस और अपच दोनों से राहत देता है। यह हमारे पेट को आवश्यक एसिड प्रदान करता है। गैस के इलाज के लिए इसे पानी और शहद के साथ लिया जा सकता है।

6. छाछ (Butter Milk)
अपच और गैस के इलाज के लिए छाछ बहुत फायदेमंद है। इसमें अधिक लैक्टिक एसिड होता है और यह दूध की तुलना में पचने में आसान होता है।

7. बेकिंग सोडा (Baking Soda)
बेकिंग सोडा में अतिरिक्त एसिड का मुकाबला करने के लिए एक प्रभावी और सामान्य रूप से एंटासिड उपलब्ध रहता है। सोडा का मूल स्वभाव नमक और पानी के गठन से पेट में अतिरिक्त हाइड्रोक्लोरिक एसिड बनाना होता है। जिससे गैस से राहत मिलती है।

8. हर्बल चाय (Herbal Tea)
हर्बल चाय पाचन सहजता में प्रभावी ढंग से काम करती है। पुदीना, रैस्बेरी और ब्लैकबेरी चाय को अपच को कम करने के लिए खाना खाने के बाद लिया जा सकता है। पुदीना और कैमोमाइल (Mint and Camomile) तेज पेट दर्द होने पर फायदेमंद हैं।

9. लहसुन (Garlic)
लहसुन से मुँह में तेज गंध आ सकती है लेकिन इसकी छोटी सी कली में गैस की समस्या से राहत पाने के अभूतपूर्व गुण होते हैं। गैस को दूर करने में लहसुन बहुत फायदेमंद है। लहसुन का इस्तेमाल सूप में करने से यह पाचनशक्ति को और मजबूत करता है। इसके अलावा पानी में लहसुन को उबालकर उसमें काली मिर्च और जीरा डालें, इस घोल को ठंडा होने दें। इसे एक दिन में दो से तीन बार पीएं।

10. अदरक (Ginger)
अदरक खाने में न केवल सुगंध और चरपराहट जोड़ता है बल्कि खाने को पचाने में भी सहायक है। अदरक खाद्य पदार्थ के रूप में या अदरक की चाय में इस्तेमाल किया जाता है जिससे यह लार, पित्त रस और आमाशय रस में उत्तेजना पैदा करने में मदद करता है। कॉफी और सोडा की तुलना में अदरक की चाय पीना बहुत अधिक लाभदायक है।

11. इलायची (Elaichi)
इलायची पेट में गैस और में अपच में बहुत आरामदायक होता है। इसमें मौजूद वाष्पशील तेल पाचन विकार को दूर कर गैस और अपच से राहत देते हैं। इलायची के बीज का यूं ही सेवन किया जा सकता है या खाना पकाने, चाय आदि में भी इलायची या इलायची पाउडर का इस्तेमाल कर सकते हैं।

12. नींबू (Lemon)
गैस की रोकथाम और अपच के इलाज करने वाले प्राकृतिक उपायों में से एक नींबू है। गर्म पानी के साथ नींबू का रस मिलाकर पीने से उल्टी, गैस और डकार से छुटकारा मिल सकता है। यह एक सफाई एजेंट के रूप में, एक रक्त शोधक के रूप में कार्य करता है और पित्त रस का उत्पादन करके शरीर में पाचन तेज करता है। सुबह एक गिलास ताजे पानी में नींबू का रस मिलाकर पीने से भी पाचनतंत्र मजबूत होता है।

13. हींग (Hing)
हींग से पेट फूलना, पेट दर्द और कब्ज जैसी कई पाचन संबंधी समस्याओं का इलाज कर सकते हैं। एक चुटकी हींग दिन में दो से तीन बार गर्म पानी के साथ ली जा सकती है।

14. अजवाइन (Ajwain)
गैस से छुटकारा पाने के लिए दादी-नानी का नुस्खा है। इसके इस्तेमाल से पेट की लगभग हर समस्या का इलाज कर सकते हैं। तत्काल राहत के लिए अजवाइन में नमक मिलाकर पानी के साथ लें।

15. गर्म पानी (Warm water)
अन्य जड़ी बूटियों और मसालों के साथ इस्तेमाल करने के अलावा सिर्फ गर्म पानी भी आपको गैस और अपच से तत्काल राहत दे सकता है। यह शरीर में मौजूद सभी विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालकर हमारे शरीर की सफाई में मदद करता है। सुबह एक गिलास गर्म पानी और खाने के बाद गर्म पानी पीने से पाचन तंत्र मजबूत होता है।

थकान (Fatigue)

थकान (Fatigue) थकान एक सामान्य अवस्था है, अधिक शारीरिक या मानसिक परिश्रम करने से शरीर में थकान आ जाती है और शरीर सुस्त हो जाता है। थ...