Saturday 14 July 2018

थकान (Fatigue)

थकान (Fatigue)

थकान एक सामान्य अवस्था है, अधिक शारीरिक या मानसिक परिश्रम करने से शरीर में थकान आ जाती है और शरीर सुस्त हो जाता है। थकान, कमजोरी से अलग है। आराम करने पर थकान चली जाती है जबकि कमजोरी बनी रह सकती है।

क्या है थकान (About Fatigue)
थकान की वजह सिर्फ कमजोरी हो ऐसा जरूरी नहीं है। हमेशा होने वाली थकान (Thakan) गलत जीवनशैली से लेकर कई रोगों का संकेत हो सकती है।
अगर आप पूरे दिन थकान महसूस करते हैं, तो इसे नजरअंदाज न करें। इसका बुनियादी अर्थ है कि शारीरिक या मानसिक स्तर पर कहीं कुछ ठीक नहीं है।

थकान के लक्षण
कमजोरी महसूस होना
किसी काम में मन न लगना
नकरात्मक सोच का बढ़ना
हर समय नींद आना

अधिक शारीरिक परीश्रम करने पर तो थकान हो सकती है लेकिन अगर थकान लगातार हो तो यह एक गंभीर मुद्दा हो सकता है। जानिएं किन हालातों में अधिक थकान होती है।

थकान के कारण (Causes of Fatigue)
शारीरिक स्तर पर इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे एनीमिया, थाइराइड, शुगर और कोलेस्ट्रॉल का बड़ा हुआ स्तर।

शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं (Red Blood Cell) की कमी से एनीमिया की दिक्कत होती है, जिसका एक प्रमुख लक्षण है थकान। आजकल महिलाओं में यह समस्या अधिक पाई जाती है जिससे बचाव के लिए आयरन (Iron) से भरपूर डाइट फायदेमंद होती है।

हाइपोथायराइड और मधुमेह (Diabetes) की स्थिति में शरीर में मेटाबॉलिज्म (Metabolism) सही तरीके से काम नहीं करता जिसके कारण कोशिकाओं को पर्याप्त भोजन नहीं मिलता है, इसलिए शरीर की ऊर्जा तेजी से खत्म हो जाती है और आप जल्दी थक जाते हैं।

यह हल्के बुखार की वजह से भी हो सकता है जो इंफेक्शन का नतीजा होता है।

बहुत ज्यादा शुगर या रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट्स जैसे चावल, मैदा आदि खाना, लम्बे अंतराल पर खाना खाना और सही तरह का भोजन न खाने से भी आदमी थकान महसूस करता है।

मानसिक स्तर पर होने वाली थकान का अर्थ है कि आप तनावग्रस्त हैं।

अवसाद (Depression) की स्थिति में भी बहुत अधिक थकान, सिरदर्द और कमजोरी महसूस होती है। अवसाद की वजह से थकावट होना आज की जीवनशैली में बहुत सामान्य है।

अगर आप दो-तीन हफ्तों तक हर समय थकान महसूस करते हैं तो मनोचिकित्सक से परामर्श उचित होगा।

दिन में कई बार चाय-कॉफी का सेवन करने वाले लोगों को थकान जल्दी होती है। कैफीन वाली चीजों के अधिक सेवन से ब्लड प्रेशर और धड़कन की गति तेज होती है जिससे थकान जल्दी होती है।

गर्मियों में शरीर में पानी की कमी यानि डिहाइड्रेशन भी आपको जल्दी थका सकती है। इसलिए शरीर में पानी की कमी न होने दें।

आजकल कंपनियों में रात की शिफ्ट या अलग-अलग शिफ्ट में काम करने का चलन बढ़ गया है। कई बार इससे बॉडी क्लॉक पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और हर समय थकावट महसूस होती है। इससे बचाव के लिए दिन में सोने का एक नियत समय तय करें जिससे आपका शरीर अभ्यस्त हो सके और सोकर उठने के बाद आप तरोताजा महसूस करें।

खान-पान और अपनी जीवनशैली पर ध्यान देने की खास जरूरत है। जरूरी नहीं कि हर बार थकान का कारण कोई शारीरिक समस्या हो, कई बार थकान का कारण मानसिक भी होता है।


सामान्य उपचार
थकान दूर भगाने का सबसे बेहतर उपाय होता है आराम करना। इसके साथ कुछ अन्य उपाय अपना कर भी आप थकान को दूर भगा सकते हैं। यह उपाय निम्न हैं:

थकान को कैसे भगाएं दूर (Treatment of Fatigue in)
रात में अच्छी व भरपूर नींद लेना, थकान को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है। 7-8 घंटे की नींद जरूर लें ताकि अगले दिन के लिए आपको पर्याप्त ऊर्जा मिले।

जब भी थकान महसूस हो तो 15-20 मिनट की झपकी जरूर लें। नींद पूरी न होने से वजन भी बढ़ता है और थकान भी जल्दी होती है।

थकान अधिक होने पर हाथ पांव ढीले छोड़कर, आंखें बंद कर पलंग पर लेट जाइए। ऐसे में मांसपेशियों का तनाव दूर होता है।

हँसी वास्तव में सबसे अच्छी दवा है। पुराने दोस्तों से मुलाकात करें, हास्य फिल्में देखें...कोई भी चीज़- जिससे आप खुलकर हँस सकें। जिन लोगों को प्यार करते हैं उनके साथ वक्त गुजारें।

मन को अच्छा लगने वाला संगीत सुनें, इससे तनाव दूर होता है।

दिन भर थोड़ा-थोड़ा पानी या कोई भी तरल पदार्थ पीते रहें। पानी शरीर से हानिकारक तत्वों को बाहर निकालकर शारीरिक प्रणाली में नई ऊर्जा भरता है। शर्बत, फलों का रस, छाछ व नारियल पानी आदि पीना चाहिए।

दिन भर के सतत ऊर्जा प्रवाह के लिए बहुत सारी हरी सब्जियाँ खायें। खाने में फल, नट्स, अंडा और फिश भी शामिल करें।

ज्यादा कॉफी और चाय न पियें, भले ही आपको उनसे राहत मिलती है। यह सिर्फ अस्थायी राहत होती है। 

सक्रिय रहें, आलस छोड़ें।

नियमित कसरत करें।



थकावट के लिए घरेलू नुस्ख़े (Home Remedies For Fatigue)
थकावट-आलस्य से आप जिंदगी से निराश महसूस करते हैं। हमेशा गुस्से में हारे हुए इंसान की तरह व्यवहार करते है। आप भी चाहते हैं कि एक अच्छे नस्ल के घोड़े की तरह रेस लगाएं, लेकिन आपको महसूस होता है कि आपके पांव कीचड़ में  फंसे हुए हैं। आप इच्छाशक्ति भी करते हैं लेकिन वो काम नहीं करता। मानसिक और शारीरिक थकावट वैसे तो सामान्य बीमारी है , मगर कुछ गंभीर बीमारी में भी ऐसे लक्षण दिखाई पड़ते हैं।

थकावट कई कारणों से होती है। मुख्य तौर पर खराब जीवनशैली, नींद में कमी, कुपोषण, फ्लू, मोटापा, एलर्जी, एनीमिया, अल्कोहल का सेवन, थायराइड, हार्ट की बीमारी समेत कैंसर, डायबिटीज और एडस जैसी गंभीर बीमारी में भी थकावट का अनुभव होता है।

थकावट का कोई खास चिकित्सकीय इलाज नहीं है बस आपको अपने जीवनशैली में थोड़ा बदलाव लाना होगा। खाने की आदत, पीने की आदत में बदलाव के साथ व्यायाम-योग और ध्यान को अपने जीवन का हिस्सा बनाना होगा। हमेशा सकारात्मक सोचना होगा।


थकावट को भगाने के क्विक घरेलू इलाज (Quick Home remedies for fatigue)
पिपरमिंट तेल के कुछ बूंदों को टिसू पेपर या रुमाल पर डालकर नाक के पास रखें और तेज सांस ले। काफी तरोताजा महसूस करेंगे। अगर आपके पास थोड़ा समय है तो नहाने के टब में कुछ बुंदे पिपरमिंट तेल के और कुछ बूंदे मेंहदी के तेल के डाल कर स्नान करें। काफी स्फूर्ति मिलेगी।


सुबह-शाम नियमित योग करें। खासकर पीठ के बल लेट कर पैर को सिर से उंचा करना और फिर उसे धीरे-धीरे नीचे करना। घुटनों को नाक में सटाना। ये कुछ ऐसे व्यायाम हैं जिससे आप तरोताजा महसूस करते हैं। योग में भ्रामरी भी काफी फायदेमंद रहता है।

सुबह बेहतर और पोषण से भरा नाश्ता करें और दिन भर में हल्का भोजन और शाम को हेल्दी स्नैक्स लेते रहें।  यह दिन में दो टाइम भरपेट और भारी भोजन खाने से ज्यादा बेहतर है। प्रयास करें कि आप अपने भोजन के साइज को 300 कैलोरी पर लिमिट कर इसका रुटीन बना लें। इससे आपका ब्लड शुगर भी कंट्रोल में रहेगा और थकावट भी नहीं होगी।

भोजन में हमेशा हाइ-फाइबर वाले फूड्स ही खाएं। क्योंकि इसमें कंपलेक्स कार्बोहाइड्रेट की मात्रा ज्यादा पाई जाती है। जैसे कि समूचे-साबुत अनाज चावल और साबूत गेंहू की रोटी, दाल- दलिया और सब्जी-सलाद। इससे ब्लड शुगर भी कंट्रोल में रहता है और थकावट नहीं होती है।
अधिक वसा वाले भोजन खाना कम करें। इससे मोटापा बढ़ती है और शरीर में हमेशा थकावट महसूस होती है।

बिना छीले हुए आलू के स्लाइस काट कर इसे रात भर पानी में भींगने छोड़ दें। सुबह इस जूस को पी लें। इसमें काफी मात्रा में पोटाशियम रहती है जो शरीर में मिनरल्स की कमी को दूर करती है। मिनरल्स के सेवन से शरीर की मांसपेशिया काफी सक्रिय रहती है और आप थकावट नहीं महसूस करते हैं।

दिन में एक बार पालक खाना थकावट को भगाने की सबसे पुराना घरेलू भलाज है। पालक में पोटाशियम के साथ आइरन और विटामिन बी ग्रुप के कई विटामिन पाए जाते हैं, जो शरीर को उर्जा और स्फूर्ति देती है।

चैन की नींद सेहत के लिए सबसे जरुरी है। मानसिक और शारीरिक थकावट की सबसे बड़ी वजह नींद में कमी ही है। कम से कम एक एक मनुष्य को आठ घंटा बेहतर स्वास्थ्य के लिए सोना चाहिए। नींद में कमी है या गड़बड़ी है तो ध्यान-योग करें और हमेशा सकारात्मक सोचें। योग में एक आसन है- शवासन, उसे आजमाएं। काफी फायदा होगा।

सप्लीमेंट के तौर पर मानसिक औऱ शारीरिक थकावट को भगाने के लिए गिनसेंग, मैग्नीशियम और गिन्कगो भी ले सकते हैं।

थकावटसे लड़ने के लिए 10 टॉप फूड्स (10 Top Foods to fight fatigue)

1-केला
2-ग्रीन टी
3-सीताफल के बीज
4-ओटमील
5-योगर्ट
6-तरबूज
7-अखरोट
8-लाल शिमला मिर्च
9-हरी बींस
10-पालक

Tuesday 3 July 2018

स्पोंडिलोसिस (Spondylosis)

स्पोंडिलोसिस या स्पॉन्डिलाइटिस, आर्थराइटिस का ही एक रूप है। यह समस्या मुख्यत: मेरु दंड (Spine) को प्रभावित करती है।

स्पोंडिलोसिस मेरुदंड की हड्डियों की असामान्य बढ़ोत्तरी और वर्टेब (Vertebrates) के बीच के कुशन (इंटरवर्टेबल डिस्क) में कैल्शियम के डी-जेनरेशन, बहिःक्षेपण और अपने स्थान से सरकने की वजह से होता है।


स्पॉन्डिलाइटिस के प्रकार (Types of Spondylosis)
शरीर के विभिन्न भागों को प्रभावित करने के आधार पर स्पॉन्डिलाइटिस तीन प्रकार का होता है:

सरवाइकल स्पोंडिलोसिस (Cervical Spondylosis): गर्दन में दर्द, जो सरवाइकल को प्रभावित करता है, सरवाइकल स्पॉन्डिलाइटिस कहलाता है। यह दर्द गर्दन के निचले हिस्से, दोनों कंधों, कॉलर बोन और कंधों के जोड़ तक पहुंच जाता है। इससे गर्दन घुमाने में परेशानी होती है और कमजोर मांसपेशियों के कारण बांहों को हिलाना भी मुश्किल होता है।
लम्बर स्पोंडिलोसिस (Lumbar Spondylosis): इसमें स्पाइन के कमर के निचले हिस्से में दर्द होता है।

एंकायलूजिंग स्पोंडिलोसिस (Ankylosing Spondylosis): यह बीमारी जोड़ों को विशेष रूप से प्रभावित करती है। रीढ़ की हड्डी के अलावा कंधों और कूल्हों के जोड़ इससे प्रभावित होते हैं। एंकायलूजिंग स्पोंडिलोसिस होने पर स्पाइन, घुटने, एड़ियां, कूल्हे, कंधे, गर्दन और जबड़े कड़े हो जाते हैं।

स्पॉन्डिलाइटिस की समस्या (Facts of Spondylosis)

आमतौर पर इसके शिकार 40 की उम्र पार कर चुके पुरुष और महिलाएं होती हैं। आज की जीवनशैली में बदलाव के कारण युवावस्था में ही लोग स्पॉन्डिलाइटिस जैसी समस्याओं के शिकार हो रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस समस्या का सबसे प्रमुख कारण गलत पॉश्चर है, जिससे मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है। इसके अलावा शरीर में कैल्शियम की कमी दूसरा महत्वपूर्ण कारण है।

मैक्स हॉस्पिटल के ऑर्थोपेडिक विभाग के अनुसार, हॉस्पिटल में हर सप्ताह स्पॉन्डिलाइटिस के 20 नये मामले आते हैं, जिनमें मरीज की उम्र 30 से कम होती है। एक दशक पहले के आंकड़ों से तुलना करें तो यह संख्या तीन गुनी हुई है। वे युवा ज्यादा परेशान मिलते हैं, जो आईटी इंडस्ट्री या बीपीओ में काम करते हैं या जो लोग कम्प्यूटर के सामने अधिक समय बिताते हैं।

एक अनुमान के अनुसार हमारे देश का हर सातवाँ व्यक्ति गर्दन और पीठ दर्द या जोड़ों के दर्द से परेशान है।




स्पोंडिलोसिस के लक्षण
अगर स्पाइनल कोर्ड दब गई है तो ब्लेडर (Bladder) या बाउल (Bowl) पर नियंत्रण खत्म हो सकता है।

इस रोग का दर्द हाथ की उंगलियों से सिर तक हो सकता है।
उंगलियां सुन्न हो जाती हैं।

कंधे, कमर के निचले हिस्से और पैरों के ऊपरी हिस्से में कमजोरी और कड़ापन आ जाता है।

कभी-कभी छाती में दर्द हो सकता है।

कशेरुकाओं (Vertebra) के बीच की मांसपेशियों में सूजन आ जाती है।

गर्दन से कंधों और वहां से होता हुआ यह दर्द हाथों, सिर के निचले हिस्से और पीठ के ऊपरी हिस्से तक पहुंच सकता है।
छींकना, खांसना और गर्दन की दूसरी गतिविधियां इन लक्षणों को और गंभीर बना सकती हैं।

दर्द के अलावा संवेदन शून्यता और कमजोरी महसूस हो सकती है।

शारीरिक संतुलन गड़बड़ा सकता है।

सबसे पहले दिखाई देने वाले लक्षणों में से एक गर्दन या पीठ में दर्द और उनका कड़ा हो जाना है।

समय बीतने के साथ दर्द का गंभीर हो जाना।

स्पोंडिलोसिस की समस्या होने पर यह सिर्फ जोड़ो तक ही सीमित नहीं रहती। समस्या गंभीर होने पर बुखार, थकान, उल्टी होना, चक्कर आना और भूख की कमी जैसे लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं।




स्पोंडिलोसिस कई कारणों से होता है। कई बार जोड़ों में दर्द का कारण बनने वाले स्पोंडिलोसिस आनुवांशिक भी होती है लेकिन अधिकतर मामलों में ऐसा नहीं होता। स्पोंडिलोसिस के कुछ सामान्य कारण निम्न हैं:

स्पोंडिलोसिस का कारण (Causes of Spondylosis)

आनुवंशिक कारण
उम्र का बढ़ना
भोजन में पोषक तत्वों, कैल्शियम और विटामिन डी की कमी के कारण हड्डियों का कमजोर हो जाना
बैठने या खड़े रहने का गलत तरीका
लंबे समय तक ड्राइविंग करना
शारीरिक श्रम का अभाव
मसालेदार ठंडी या बासी चीजों को खाना
विलासिता पूर्ण जीवनशैली
महिलाओं में लगातार माहवारी का असंतुलन
उम्र बढ़ने के साथ हड्डियों में क्षय या विकार पैदा होना
अक्सर फ्रैक्चर के बाद भी हड्डियों में क्षय की स्थिति होने लगती है।

सामान्य उपचार

स्पोंडिलोसिस का इलाज (Treatment of Spondylosis)
खाने में कैल्शियम और विटामीन डी को शामिल कर काफी हद तक इस बीमारी से बचा जा सकता है। लेकिन इसके साथ ही स्पोंडिलोसिस से बचने के  लिए अपने चलने और बैठने के तरीके पर भी ध्यान देना जरूरी है। कुछ अन्य सावधानियां और उपाय निम्न हैं:

जीवनशैली में बदलाव लाएं।

पौष्टिक भोजन खाएं, विशेषकर ऐसा भोजन जो कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर हो।

चाय और कैफीन का सेवन कम करें।

पैदल चलने की कोशिश करें। इससे बोन मास (Bone Mass) बढ़ता है। शारीरिक रूप से सक्रिय (Active) रहें।

नियमित रूप से व्यायाम और योग करें।

हमेशा आरामदायक बिस्तर पर सोएं। इस बात का ध्यान रखें कि बिस्तर न तो बहुत सख्त हो और न ही बहुत नर्म।

स्पोंडिलोसिस से पीड़ित लोग गर्दन के नीचे बड़ा तकिया न रखें। उन्हें पैरों के नीचे भी तकिया नहीं रखना चाहिए।

ऐसी मेज और कुर्सी का प्रयोग करें, जिन पर आपको झुक कर न बैठना पड़े। हमेशा कमर सीधी करके बैठें। 

धूम्रपान न करें और तंबाकू न चबाएं।

स्पांडलाइसिस के घरेलू इलाज

सर्वाइकल स्पांडलाइसिस (Cervical Spondolysis) उम्र बढ़ने के साथ गर्दन के जोड़ की हड्डी-उपास्थि के घिसने के कारण होती है। यह गर्दन के हड्डी के डिस्क पलटने, लिगामेंट में फ्रैक्चर से भी हो सकता है। इसमें काफी असहनीय दर्द और पीड़ा होती है। गर्दन काफी भारी और कड़ा महसूस होने लगती है। कंधे से लेकर गर्दन और सिर तक में दर्द होती है।

बांहों की मांसपेशियों से लेकर हाथों की उंगलियों तक में दर्द की संवेदनशीलता महसूस की जाती है। 60 के बाद यह किसी को भी हो सकता है। हालांकि खराब जीवनशैली, बैठने-खड़ा होने के गलत पोस्चर और अनुवांशिक कारणों से यह कभी भी अटैक कर सकता है। आइए जानते हैं स्पांडलाइसिस से लड़ने के घरेलू इलाज।

नियमित व्यायाम (Regular Exercise)
अगर आप नियमित रुप से गर्दन और बांह की कसरत करते रहें तो स्पांडलाइसिस के दर्द से आऱाम मिलेगा। अपने सिर को दाएं-बांए और उपर-नीचे घुमाते रहें। अपने गर्दन को दाएं और बांए कंधे पर बारी-बारी से झुकाएं। दस मिनट तक यह व्यायाम रोजाना 2 से 3 बार करें। काफी आराम मिलेगा। आप हल्के एरोबिक्स जैसे स्वीमिंग भी आधे घंटे तक रोज कर सकते हैं, इससे गर्दन की स्पांडलाइसिस में आराम मिलेगा।

गर्म और ठंडे पानी की पट्टी (Hot and cold compress)
गर्दन के प्रभावित क्षेत्र जहां दर्द हो और कड़ापन महसूस होता हो वहां पहले गर्म पानी और बाद में ठंडे पानी की पट्टी से दबाव डालें। गर्म पानी की पट्टी से ब्लड सर्कुलेशन तेज होगा और मांसपेशियों का खिंचाव कम होगा और दर्द से राहत मिलेगी। ठंडे पानी का पट्टी से सूजन कम होगा। गर्म पानी की पट्टी 2 से 3 मिनट तक रखें और ठंडे पानी की पट्टी 1 मिनट। इसे 15 मिनट पर दोबारा करें।

सेंधा नमक की पट्टी या स्नान (Epsom salt bath)

नियमित रुप से सेंधा नमक की पट्टी या इससे स्नान करने से स्पांडलाइसिस के दर्द में काफी आराम मिलता है। सेंधा नमक में मैग्नीशियम की मात्रा ज्यादा होने से यह शरीर के पीएच स्तर को नियंत्रित करता है और गर्दन की अकड़ और कड़ेपन को कम करता है। आधे ग्लास पानी में दो चम्मच सेंधा नमक मिला कर पेस्ट बना लें और उसे गर्दन के प्रभावित क्षेत्र में लगाएं, थोड़ी देर के बाद काफी राहत मिलेगी। या गुनगुने पानी में दो कप सेंधा नमक डाल कर रोजाना स्नान करें, काफी फायदा मिलेगा।

लहसुन (Garlic)
लहसुन में दर्द निवारक गुण होता है और यह सूजन को भी कम करता है। सुबह खाली पेट पानी के साथ कच्चा लहसुन नियमित खाएं, काफी फायदा होगा। तेल में लहसुन को पका कर गर्दन में मालिश भी किया जा सकता है, इससे दर्द में काफी राहत मिलेगी।

हल्दी (Turmeric)
हल्दी असहनीय दर्द को चूसने में सबसे कारगर साबित हुई है। इतना ही नहीं यह मांसपेशियों के खिचांव को भी ठीक करता है। एक ग्लास गुनगुने दूध में एक चम्मच हल्दी डाल कर पीएं, दर्द से निजात मिलेगी और गर्दन की अकड़ भी कम होगी।

तिल के बीज (Sesame Seeds)

तिल में कैल्शियम, मैग्नीशियम, मैगनीज, विटामिन के और डी काफी मात्रा में पाई जाती है जो हमारे हड्डी और मांसपेशियों के सेहत के लिए काफी जरुरी है। स्पांडलाइसिस के दर्द में भी तिल काफी कारगर है। तिल के गर्म तेल से गर्दन की हल्की मालिश 5 से 10 मिनट तक करें, फिर वहां गर्म पानी की पट्टी डालें, काफी आराम मिलेगा और गर्दन की अकड़ भी कम होगी।

और भी हैं कई टिप्स (Some more tips)
सुबह शाम भोजन के बाद थोड़ी मात्रा में हरीताकी खाएं, दर्द से निजात मिलेगी और गर्दन की अकड़ कम होगी।

शारीरिक श्रम कम करें या इससे परहेज ही कर लें। भारी सामान एकदम नहीं उठाएं

रात में चैन की नींद सोने का प्रयास करें।

हमेशा हल्के और मुलायम तकिए पर सोएं, तकिए को बदलें नहीं। 

सही पोस्चर में बैठे और खड़ा रहें।

तला-भुना और मसालेदार खानों से परहेज करें।

सलाद और हरी सब्जी का सेवन ज्यादा करें।

शराब और धूम्रपान को बाय-बाय करें।

प्रोटीन, विटामिन सी, कैल्शियम और फास्फोरस जिसमें ज्यादा हो वैसे ही भोजन करें।

सर्वाइकल कॉलर गर्दन में लगा कर ऑफिस या दुकान जाएं।

थकान (Fatigue)

थकान (Fatigue) थकान एक सामान्य अवस्था है, अधिक शारीरिक या मानसिक परिश्रम करने से शरीर में थकान आ जाती है और शरीर सुस्त हो जाता है। थ...