Friday 29 June 2018

सुस्ती (Lethargy)


कई बार शरीर में स्फूर्ति (energy) नहीं रहती। शरीर एकदम थका हुआ महसूस करता है, और बहुत कमजोरी महसूस होती है। कई बार आलस इतना होता है कि हमेशा नींद आती रहती है। इसी अवस्था को लिथारजी या सुस्ती कहते हैं। तनावपूर्ण माहौल या पोषण की कमी के कारण शरीर कमजोर होने लगता है। कई बार रात में अच्छी नींद न सोने पर भी अगले दिन थका हुआ महसूस करते हैं। लेकिन ज्यादा सुस्ती शरीर के लिए बेहद हानिकारक भी है। कई बार यह सुस्ती मौत की वजह भी हो सकती है, क्योंकि ज्यादा सुस्ती से ब्रेन के सेल्स भी सुस्त होने लगते हैं और धीरे धीरे कार्य करना बंद कर देते हैं। पूरे शरीर की स्वभाविक प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है, जो कई समस्याओं का कारण हो सकती है। ऐसे में शरीर को एक्टिव बनाये रखना बेहद जरूरी होता है।


सुस्ती, निम्न बीमारियों का कारण भी हो सकती है (Effects of Lethargy)

हृदय रोग (Heart Diseases):- जिस किसी भी व्यक्ति को हृदय रोग होता है या हार्ट अटैक आता है, चिकित्सक बताते हैं कि लगभग 70 फीसदी मामलों में ऐसे व्यक्ति कुछ हफ्ते पहले से ही सुस्ती महसूस करने लगते हैं। पुरूषों के मुक़ाबले महिलाओं में यह लक्षण ज्यादा नजर आते हैं।
लिवर समस्या (Liver Problem):- यदि कोई लगातार सुस्ती महसूस करे तो लीवर पर प्रभाव पड़ सकता है। ब्लड ट्रांसफ्यूजन हो या कोई ड्रग लेने की लत हो तो हेपेटाइटिस सी की संभावना रहती है। हल्का बुखार, भूख न लगना और शरीर में दर्द इसके लक्षण हो सकते हैं।

एनीमिया (Anemia):- शरीर में आयरन की कमी भी सुस्ती का कारण हो सकता है, खासकर महिलाओं में। पीरियड्स, प्रेग्नेंसी, फीडिंग के बाद महिलाओं में आयरन की कमी हो जाती है, जिससे रंग पीला पड़ने लगता है, चिड़चिड़ाहट शुरू हो जाती है और सुस्ती छाई रहती है।
थायरॉइड (Thyroid):- कई बार थायरॉइड संबंधी समस्याएं भी सुस्ती (Susti) का संकेत हो सकती हैं, खासकर मध्यम उम्र के लोगों में। थायरॉइड ग्लैंड टी-4 और टी- 3 जैसे हार्मोन बनाती है, लेकिन मिड एज में यह प्रक्रिया धीमी हो जाती है।

सुस्ती के लक्षण
एकांत अच्छा लगना
कमजोरी महसूस होना (Weakness in Body)
किसी काम में मन न लगना
छोटे से छोटा काम करने में चिड़चिड़ाना
हर समय नींद और आलस आना
हर समय लेटे रहने का मन होना
मन में हमेशा नकारात्मक विचार आना

सुस्ती के कारण (Causes of Lethargy)
सुस्ती का अनुभव सभी को होता है, लेकिन थोड़ा आराम करने या रात की नींद के बाद, अगली सुबह तक सुस्ती दूर हो जाती है। यदि इसके बाद भी सुस्ती बनी रहे तो यह बीमारी का संकेत हो सकता है। किसी भी व्यक्ति की सुस्ती का असर न केवल उसके शारीरिक बल्कि मानसिक व सामाजिक स्तर पर भी पड़ता है। सुस्ती, व्यस्त दिनचर्या, खराब जीवन शैली, बीमारियां, अनियमित व असंतुलित खान-पान व अन्य कारणों से हो सकती है। आमतौर पर अच्छी नींद लेने और और दिनचर्या में बदलाव से इस समस्या को काफी हद तक ठीक किया जा सकता है लेकिन कई बार चिकित्सक की सलाह लेनी ही पड़ती है।

इस समस्या के अन्य कारण (Reasons of Lethargy)
कमजोरी की वजह से।
ज्यादा तनावग्रस्त रहने से।
नींद पूरी न होने की वजह से।
शरीर में विटामिन की कमी से।
शरीर में खून की कमी की वजह से।

सामान्य उपचार

सुस्ती से बचने के उपाय (Tips to Prevent from Lethargy)
रोज योग और व्यायाम करें।
सुबह की ताजी हवा में टहलें।
तनावमुक्त रहने का प्रयास करें।
खाने में विटामिन की मात्रा बढ़ाएं।
कम से कम 8 घंटे की नींद जरूर लें।
आंवले का मुरब्बा भी शरीर को स्फूर्ति देता है।
हल्का संगीत, हल्की आवाज में सुनें। इससे भी मानसिक सुस्ती दूर होती है।
कई बार सुगंधित तेलों की मालिश से भी शरीर की सुस्ती और सुस्ती मिटाई जा सकती है।
संतुलित और पौष्टिक भोजन करें, जिसमें हरी सब्जियां, दालें, दही और मौसमी फल शामिल हों।
अपनी उंगलियों के पोरों से चेहरे की मसाज करें। ऐसा करने से ब्लड सर्कुलेशन बढ़ेगा, जिससे व्यक्ति एक्टिव महसूस करेगा।
भागदौड़ भरी आधुनिक जिंदगी और कई तरह के तनाव, न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी व्यक्ति को थका देते हैं। थकावट हर किसी को होती है परन्तु कई लोगों को पूरे शरीर में दर्द की शिकायत रहती है। दर्द को कम करने के लिए लोग अकसर पेनकिलर ले लेते हैं। ये दवाएं तुंरत आराम देती हैं परन्तु लम्बे समय तक इसका प्रयोग नुकसान पहुंचा सकता है।
आइए जानें थकावट से बचाव के लिए घरेलू नुस्खे (Home remedies for lethargyl) 

1. ग्रीन टी (Green tea)- थकावट को दूर करने के लिए एक कप ग्रीन टी पीना बेहद प्रभावी है। नियमित रूप से ग्रीन टी पीने से वजन भी कंट्रोल में रहता है। मांसपेशियों में दर्द (muscle pain) होने पर आप ग्रीन टी बेहद लाभकारी है।
2. अदरक की चाय (Ginger tea)- अदरक की चाय कुदरती पेनकिलर के रूप में कार्य करती है। यह व्यक्ति को तरोताजा भी महसूस कराती है। तुलसी के काढ़े में अदरक मिलाकर भी पीया जा सकता है।
3. सौंफ (Saunf)- किसी पकवान में स्वाद बढ़ाने के साथ ही सौंफ सांस में ताजग़ी लाने में भी बेहद प्रभावकारी है। सौंफ का प्रयोग रसोई में ज़रूर होता है। सौंफ खाने से पेट साफ़ रहता है और आप खुद को तरोताजा महसूस करते है।
4. अजवायन (Ajwain)- अजवायन के पत्ते भी दर्द निवारक दवा की तरह काम करते हैं। यह शरीर के टूटे-फुटे की अंग की मरम्मत करने और जोड़ों के दर्द में बहुत लाभप्रद होते हैं।
5. कद्दू के बीज (Pumpkin seed)- कद्दू के बीज में मैग्नीशियम होता है, जो आलस व थकावट से लड़ने में मदद करता है। आधे घंटे की एक्सरसाइज में अगर आप थका हुआ महसूस करती हैं तो इसका मतलब है कि आपमें मैग्नीशियम की कमी है। व्यायाम के दौरान शरीर में ऑक्सीजन के निर्माण के लिए मैग्नीशियम जरूरी है। इसकी कमी की वजह से थकावट जल्दी होती है।
6. अखरोट (Wallnut)- अखरोट में ओमेगा 3 फैटी एसिड पाया जाता है। ओमेगा 3 फैटी एसिड न केवल थकान और आलस से राहत देता है, बल्कि यह अवसाद से भी बचाता है। इसलिए अखरोट खाने से आपकी झपकियों की समस्या दूर होगी।
7. अनाज (Whole grain)- अनाज में फाइबर की मात्रा अधिक होती है। इसलिए आलस और थकान मिटाने में यह मददगार साबित होता है। अनाज में कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट (complex carbohydrate) होते हैं। ये थकान से लड़ने में मददगार होते हैं।
8. लाल मिर्च (Red chilly)- लाल मिर्च में विटामिन सी पाया जाता है, जो थकान दूर करता है। लाल मिर्च से दिमाग एक्टिव रहता है और हम हमेशा तरोताजा महसूस करते हैं।
9. दही (Curd)- दही में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया पाचन तंत्र (immune system) को मजबूत रखते हैं। 4 सप्ताह तक दिन में दो बार यदि दही खाया जाए तो शारीरिक और मानसिक सेहत के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है और थकान कम होती है।

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