Friday 25 May 2018

दर्द (Pain)

दर्द या पीड़ा (About Pain in Hindi)
स्नायु तंत्र में वह सामान्य संवेदना (Sensation) है जिसकी शुरूआत आपको किसी भी संभावित चोट तथा अपनी देखभाल के प्रति सतर्क करने के लिये होती है।


दर्द के प्रकार (Types of Pain)
दर्द को कई तरीकों से वर्गीकृत किया जा सकता है, दर्द के कारणों के अनुसार या लक्षणों के अनुसार। दर्द (dard) का मौलिक वर्गीकरण दर्द की अवधि के अनुसार होता है। दर्द के कुछ अहम वर्ग निम्न हैं:

अल्पकालिक और भयंकर दर्द (Acute Pain)
आमतौर पर एक्यूट पेन (Acute Pain) अचानक बीमारी, जलने, या मांसपेशी के चोटिल होने से होता है। भयंकर दर्द के कारण का निदान एवं उपचार (Diagnosis and Treatment) प्राय: कर लिया जाता है और दर्द किसी समयावधि या भीषणता में सीमित (Limited) होता है। एक्यूट पेन सुरक्षात्मक होता है और रोग समाप्त होने के बाद इससे पूरी तरह मुक्ति मिल जाती है,

एक्यूट पेन की विशेषताएं (Facts of Acute Pain in Hindi)

* इसकी अवधि कम होती है।
* इसके रोग की पहचान एवं पूर्वानुमान लगाया जा सकता है।
* इसके उपचार (Treatment) के लिए प्रायः दर्द निवारक दवाओं (Painkillers) का उपयोग किया जाता है।
* सामान्यतः इलाज के बाद दर्द ठीक हो जाता है।

दीर्घकालिक दर्द (About Chronic Pain in Hindi)
दीर्घकालिक दर्द या क्रॉनिक पेन कभी समाप्त नहीं होता है- यह भयंकर दर्द की तुलना में लंबे समय तक रहता है और अधिकतर चिकित्सा उपचारों के प्रतिरोधी क्षमता (Resistant) वाला होता है। क्रॉनिक पेन के संकेत सप्ताहों, महीनों और वर्षों तक संकेत देते रहते हैं। क्रॉनिक पेन प्रायः रोग समाप्त होने के बाद भी नहीं जाता और इसके सामान्यतः कोई लाभ नहीं हैं। इसके अतिरिक्त क्रॉनिक पेन किसी व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता (Quality of life) को काफी हद तक प्रभावित करता है।

क्रॉनिक पेन  की विशेषताएं (Facts of Chronic Pain )
* दीर्घकालिक दर्द या क्रॉनिक पेन लगातार रह सकता है या बार-बार हो सकता है। (महीनों या सालों तक रह सकता है)।
* यह प्रायः किसी दीर्घकालिक बीमारी के कारण होता है और उस रोग के लक्षणों में एक हो सकता है।
* इसके पूर्वानुमान नहीं लगाए जा सकते और प्रायः रोग की पहचान सुनिश्चित नहीं होती।
* इलाज में सामान्यतः कई विधियां सम्मिलित रूप से प्रयोग में लाई जाती हैं।
* प्रायः रोग ठीक हो जाने या इलाज पूरा हो जाने के बाद दुबारा दर्द हो सकता है।

क्रॉनिक पेन के उदाहरण-
कमर के निचले हिस्से में दर्द
आर्थ्राइटिस (गठिया) का दर्द
फाइब्रोमायल्जिया
माइग्रेन

दर्द का कारण (Causes and Reason of Pain in Hindi)
दर्द के कई कारण होते हैं जैसे  चोट लगना, पूरानी बीमारी आदि। दर्द (dard) के कुछ विशेष कारण निम्न हैं:

कैंसर
कान में संक्रमण
अचानक बीमारी
मांसपेशी की चोट
जलना
पुराना दर्द पूर्व की किसी चोट या शारीरिक नुकसान में भी होता है

सामान्य उपचार
​दर्द होने पर सबसे आसान उपाय लोग दर्द निवारक लेना समझते हैं। कई बार दर्द निवारक भी पूर्ण रूप से दर्द खत्म नहीं कर पाता। दर्द की स्थिति में कुछ निम्न उपाय अपनाए जा सकते हैं।

दर्द के उपाय (Treatment and Remedies of Pain in Hindi)
दर्द के निदान एवं उपचार (Diagnosis and Treatment) का उद्देश्य रोगी की कार्यप्रणाली में सुधार करना है जिससे वे अपने दैनिक काम कर सकें।

चोट या जोड़ों के दर्द में राहत के लिए ठंडा या गर्म सेंक करना आसान उपाय माना जाता है।

ठंडा सेंक - बर्फ हमारे शरीर की रक्त वाहिकाओं को सिकोड़ देती है। जिससे हमें दर्द व जलन से हमें छुटकारा मिलने के साथ ही चोट ठीक हो जाती है।

ठंडा सेंक केवल ताजा चोट के समय ही करना चाहिए। यदि चोट लगे 6-7 घंटे हो चुके हैं तो ठंडे सेंक से बचना चाहिए। लील पड़ने से रोकने व जोड़ों में खून को इकट्ठा होने से रोकने के लिए ठंडा सेंक किया जाता है।

गर्म सेंक - गर्मी से नसों में रक्त प्रवाह तेज हो जाता है जिससे अकड़ी हुई मांसपेशियां ढीली होने लगती हैं और दर्द में आराम मिलता है।

गर्म पानी का सेंक बहुत अधिक सर्दी के मौसम में करना फायदेमंद होता है। गर्मी के मौसम में गर्म सेंक नहीं करना चाहिए। सर्दी के मौसम में जोड़ों पर स्थित नसें सिकुड़ने लगती हैं। ऐसे में गर्म पानी के सेंक से दर्द पैदा करने वाले ऊत्तक और नसें खुल जाती हैं।

गंभीर चोटों में गर्म सेंक न लें। यह चोट में हो रही जलन को और बढ़ा सकता है। ऐसे में उस चोट को ठीक होने में ज्यादा समय भी लग सकता है

दर्द से छुटकारा पाने के लिए घरेलू नुस्ख़े
दर्द से निजात पाने के लिए हमेशा पेन किलर दवा खाना ठीक नहीं हैं। पेन किलर दवाओं के स्ट्रिप पर भी लिखा होता है कि इसके ओवरडोज सेहत के लिए नुकसानदेह होते हैं। दर्द निवारक दवाओं के ओवरडोज से लीवर और किडनी पर बुरा असर पड़ता है और अधिक सेवन से लीवर और किडनी खराब हो सकती है।

दर्द में ज्यादातर प्रयास करना चाहिए कि हम कुदरती और घरेलू उपाय से ही इसे कम करें। दर्द से निजात के लिए कुदरत में ऐसी नायाब जड़ी-बूटी और औषधियां है जो दर्द को न सिर्फ कम करती है बल्कि जड़ से ही खत्म कर देती हैं।

दर्द के घरेलू इलाज (Home Remedies for Pain)
कमर दर्द (Pain in Waist)
रात में 60 ग्राम गेंहू के दाने पानी में भिगो दें। सुबह में भीगे हुए गेंहू के साथ 30 ग्राम खसखस तथा 30 ग्राम धनिया मिलाकर बारीक पीस लें। इस चटनी के दूध में पका ले और खीर बना लें। इस खीर को लगातार दो महीने तक खाने से कमर दर्द का नाश हो जाता है। केवल खसखस औऱ मिश्री को बराबर मात्रा में पीस कर चूर्ण बना लें और इसे रोज खाएं, कमर दर्द गायब हो जाएगी।

कमर दर्द में तारपीन के तेल की मालिश भी बहुत लाभदायक होती है।
कमर दर्द और गठिया में नित्य सुबह अखरोट की गिरियों को अच्छी तरह चबाकर खाने से भी काफी लाभ होता है।

घुटनों का दर्द (Knee Pain)
सुबह के समय मेथीदाना का बारीक चूर्ण एक या दो चम्मच पानी के साथ लें, घुटनों का दर्द खत्म हो जाएगा।

मछली के तेल (क़ॉड लीवर ऑयल) भी घुटनों के दर्द में काफी असरदार है।

सुबह भूखे पेट अखरोट की गिरियां खाएं। दर्द से निजात मिलेगा।
घुटनों का दर्द, जोड़ों का दर्द हड्डियों को घिसने के काण होती है। इसमें विजयसार की लकड़ी के विधिवत इस्तेमाल से काफी आराम मिलता है।

एक कच्चा लहसुन खाली पेट पानी के साथ खाएं, दर्द से निजात मिलेगा।

अश्वगंधा और सौंठ को कूटकर इसके चूर्ण को खाएं, काफी आराम मिलेगा।

गठिया (Arthritis Pain)
बथुआ साग के ताजा पत्तों का रस 15 ग्राम प्रतिदिन पीने से गठिया दूर होता है। इस रस में नमक-चीनी आदि कुछ न मिलाएं। सुबह खाली पेट लें और शाम में भी।

बथुआ का साग बना के भी खा सकते हैं और इसके पराठे भी बना कर खा सकते हैं।

नागौरी असगंध की जड और खांड दोनों लगभग बराबर मात्रा में लेकर कूट-पीसकर कपड़े से छान कर बारीक चूर्ण बना लें । इसे सुबह-शाम गर्म दूध के साथ खाएं। गठिये के दर्द से राहत मिलेगी।

कच्चे लहसुन का सेवन करें।

बारीक असगंधा का चूर्ण दो भाग, सौंठ का चूर्ण एक भाग और पिसी हुई मिश्री तीन भाग मिला कर रख लें। इसे दो चम्मच सुबह-शाम गर्म दूध या पानी के साथ खाएं, दर्द गायब हो जाएगा।

हर प्रकार के बदन का दर्द (All type of Pain)
लहसुन की चार कलियां छीलकर तीस ग्राम सरसों के तेल में डाल दें। उसमें थोड़ी अजवायन मिला कर धीमी आंच पर पकाएं। लहसुन और अजवायन काली पड़ने पर तेल उतार कर थोड़ा ठंढा कर छान लें। इस हल्के गर्म तेल की मालिश से हर प्रकार का बदन दर्द छू-मंतर हो जाता है।

लगभग 10 ग्राम कपूर और 200 ग्राम सरसों का तेल- दोनों को शीशी में मिला कर कार्क से बंद कर दें। शीशी को धूप में रख दें। जब दोनों मिलकर एकरस हो जाएं तब इस तेल की मालिश से वात विकार, नसों का दर्द, पीठ और कमर का दर्द, हिप-शूल, मांसपेशियों का दर्द समेत बदन के सभी तरह के दर्द से छुटकारा मिल जाता है।

पेट दर्द (Abdominal Pain)
अजवायन का चूर्ण छह भाग और काला नमक (पिसा हुआ) एक भाग लेकर मिला लें। इसमें से दो ग्राम गर्म पानी के साथ लें तो पेट दर्द में तुरंत आराम मिलेगा।
अमृतधारा की दो-तीन बूंदे बताशे या खांड के पानी में डालकर पीने से पेट दर्द खत्म होता है।
दो-तीन चम्मच ठंढे पानी में दो-तीन बूंद अमृतधारा सुबह-शाम भोजन के बाद लेने से दस्त, आंव, मरोड़ और पेचिश के दर्द में आराम मिलता है।

गले का दर्द (Pain in Throat)
फूली फिटकरी दो ग्राम (आधा चम्मच) 250 मिली पानी में डाल कर दिन में दो-तीन बार गरारा करें। इससे गले की सूजन औऱ दर्द दूर होती है। यह संभव नहीं है तो केवल नमक और एख ग्लास गर्म पानी में डाल कर गरारे करने से भी दर्द कम होती है।

दांत का दर्द (Pain in Teeth and Gum)
सरसों के तेल की कुछ बूंदों में एक चुटकी सैंधा नमक के साथ एक चुटकी पिसी हुई हल्दी मिला ली जाए और गाढ़ा लेप (पेस्ट) बनाकर दांतो व मसूड़ों की मालिश रोजाना सबुह-शाम की जाए तो दांतो के दर्द के साथ कई तकलीफें दूर हो जाएंगी।

भीतरी चोट या हड्डी टूटने पर दर्द (Internal Pain and Inflamation)
200 ग्राम उबलते हुए दूध में आधा चम्मच हल्दी मिला कर दो-तीन बार उबाल दें। इस हल्दी और दूध के गुनगुने मिश्रण को पीने से चोट का दर्द व सूजन कम होती है।
यदि किसी जगह चोट के कारण सूजन हो या दर्द हो तो वहां पिसा हुआ सेंधा नमक या साधारण नमक की पोटली को गर्म कर सेंकने से सूजन और दर्द कम होती है।
जहां चोट लगी है, मोच आई है या सूजन है वहां हल्दी का चूर्ण और चूना मिला कर लगा दिया जाए तो फौरन दर्द ठीक हो जाती है और सूजन भी कम हो जाती  है।

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